Uttarakhand News 20Oct2025

"उत्तराखंड रोडवेज ने दिल्ली के लिए 57 नई बसें शुरू कीं, पर्वतीय क्षेत्रों के लिए KEMU Sahara

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उत्तराखंड रोडवेज ने दिल्ली के लिए 57 नई बसें संचालित की हैं, जो त्योहारों के मौसम में बढ़ती यात्रा मांग को पूरा करने के लिए शुरू की गई हैं। ये बसें हल्द्वानी, काठगोदाम, देवप्रयाग, ऋषिकेश, और अन्य प्रमुख शहरों से दिल्ली के लिए नियमित सेवा प्रदान कर रही हैं। यात्रियों को आरामदायक, सुरक्षित और समयनिष्ठ यात्रा अनुभव देने पर विशेष ध्यान दिया गया है। पहाड़ी इलाकों के लिए केमू सहारा सेवा भी पहले की तरह चालू रहेगी, जिससे पर्वतीय यात्रियों को स्थानीय आवागमन में सुविधा होगी।

रोडवेज प्रशासन ने सभी डिपो को निर्देशित किया है कि वे यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बसों की व्यवस्था और स्टाफिंग बेहतर बनाए रखें। साथ ही, कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी सीट पहले से बुक कर लें ताकि त्योहारों पर यात्रा में कोई असुविधा न हो।

इसके अलावा, उत्तराखंड परिवहन निगम ने कुछ लोकप्रिय रूटों पर बस संचालन में बदलाव की अनुमति भी दी है, जिससे अधिकतम यात्रियों की सेवा सुनिश्चित हो सके। यह सेवा न केवल उत्तराखंड के निवासियों के लिए बल्कि दिल्ली नजदीक क्षेत्रों के लोगों के लिए भी बड़े फायदे की बात है, जो पर्वतीय इलाकों की यात्रा करना चाहते हैं।

यह वृद्धि उत्तराखंड की सड़क परिवहन सेवा की क्षमता को बढ़ाने, यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के प्रयासों का हिस्सा है। अधिक जानकारी और टिकट

दून अस्पताल के बाहर गोलीकांड, एसएसपी ऑफिस के पास युवक को मारी गई गोली

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देहरादून में 18 अक्टूबर की रात राजधानी के दून अस्पताल के बाहर एक युवक को बदमाशों ने गोली मार दी। यह घटना पुलिस अधीक्षक कार्यालय से कुछ दूरी पर हुई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

मामला कैनाल रोड स्थित एक झगड़े का है, जिसमें दो गुट आमने-सामने आए थे। झगड़े के बाद जहां एक युवक घायलों की हालत में दून अस्पताल पहुंचा, वहीं अस्पताल के बाहर उसकी एक अन्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी से कहासुनी हुई और फिर गोली चल गई। गोली लगने के बाद युवक को तुरंत मेडिकल इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

एसएसपी ऑफिस के नजदीक इस तरह की गोलीबारी से स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपितों की पहचान कर पकड़ने के प्रयास जारी हैं।

यह घटना उस समय हुई जब देहरादून में सुरक्षा की विशेष ताबड़तोड़ की जा रही थी, फिर भी गोलीकांड ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की जरूरत दिखा दी है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अपराधिक गतिविधि की सूचना तुरंत दें ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।

इस प्रकार की घटनाएं शहर की सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चुनौती हैं, जिनके समाधान के लिए पुलिस प्रशासन को तत्परता से काम करना होगा ताकि नागरिकों का विश्वास बना रहे और शांति बनी रहे।

उत्तराखंड में दीपावली पर्व की खास परंपरा: गन्ने के तनों से मां महालक्ष्मी की सुंदर मूर्ति बनाकर घरों में होती है पूजा

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उत्तराखंड में दीपावली का त्योहार अपनी विशिष्ट परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जिसमें एक खास रिवाज है – गन्ने के तनों से मां महालक्ष्मी की मूर्ति बनाना। यह प्राचीन परंपरा सत्रहवीं शताब्दी से कुमाऊं क्षेत्र में चली आ रही है। दीपावली के दिन घर-घर और गांव-गांव में लोग गन्ने के तनों को इकट्ठा कर, उन्हें खूबसूरती से काटकर और सजाकर महालक्ष्मी की प्रतिमा बनाते हैं।

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, गन्ने को शुभ और फलदायक माना गया है, और स्कंद पुराण में इसे मां लक्ष्मी का प्रिय बताया गया है। परंपरा के अनुसार गन्ने के तनों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तीन भागों में बांटा जाता है जो एक कांसे की थाली में चावल पर रखे जाते हैं। इसके ऊपरी भाग को पत्तियों से बांध कर उसमें पहाड़ी नींबू लगाया जाता है, जो मां लक्ष्मी के मुख का प्रतीक होता है। कुछ स्थानों पर इस नींबू पर रंगों से मुख की आकृति बनाई जाती है, तो कहीं तैयार मुखौटे का इस्तेमाल किया जाता है।

दीपावली की रात विधिपूर्वक इस मूर्ति की पूजा की जाती है, जिसके बाद अगली पूजा जैसे गोवर्धन पूजा या भैया दूज के दिन इसे नदी या सरोवर में विसर्जित कर दिया जाता है। लोग मानते हैं कि इससे घर में सुख, समृद्धि और आर्थिक उन्नति आती है।

यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है, बल्कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए हुए है। इस त्योहार के अवसर पर गन्ने की मांग बढ़ जाती है, और स्थानीय किसान भी इसे बाजार में लेकर आते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।

कर्मयोगी कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड के 5000 से अधिक शिक्षक और कर्मचारी 3651 से ज्यादा कौशल कोर्स करेंगे पूरा, ऑनलाइन होंगे सर्टिफिकेट

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उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग ने कर्मयोगी कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षकों और कर्मचारियों के कौशल विकास के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के 5000 से ज्यादा शिक्षक, अधिकारी और अन्य कर्मचारी इस कार्यक्रम में पंजीकृत होकर 3651 से अधिक स्किल-आधारित कोर्स ऑनलाइन पूरा करेंगे। यह कोर्स वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जहां दस नवंबर तक रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा गया है।

इस पहल के तहत कर्मयोगी कार्यक्रम डिजिटल इंडिया के विजन को साकार करते हुए सरकारी कर्मचारियों के कौशल को आधुनिक बनाना चाहता है। इस प्रक्रिया में शिक्षकों और कर्मचारियों को न केवल विषयगत ज्ञान, बल्कि व्यवहारिक और कार्य क्षमता बढ़ाने वाले कोर्स भी उपलब्ध हैं। कोर्स पूरा करने पर ई-सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा, जो पेशेवर नेटवर्क में उपयोगी होगा।

उच्च शिक्षा विभाग इस कार्यक्रम को प्रदेश के 119 राजकीय महाविद्यालयों और निदेशालय स्तर पर लागू कर रहा है, जिससे व्यापक कार्यबल को लाभ मिले। अधिकारी नियमित रूप से इस पहल को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि सभी कर्मचारी अपनी दक्षता और आत्मविश्वास बढ़ा सकें और आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को अपनाएं।

यह कार्यक्रम भारतीय सिविल सर्विसेस के लिए भी मानक स्थापित करता है, जहां शासन की कार्यप्रणाली में दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाता है। कर्मयोगी डिजिटल पोर्टल पूरे भारत में सरकारी कर्मियों के लिए एक समर्पित लर्निंग प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य ‘नया भारत’ के लिए कर्मठ और अधिक सक्षम सेवा कर्मी तैयार करना है।

नैनीताल में ऑफ सीजन का ग्रहण नहीं छटा, दिवाली के बाद महानगरों की खराब हवा से सैलानियों की बढ़ेगी भीड़

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नैनीताल में मानसून के बाद से चल रहा ऑफ सीजन का प्रभाव अभी भी बना हुआ है, जिससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पिछले कुछ महीनों में हुई लगातार वर्षा और आपदाओं के कारण नैनीताल में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई थी। हालांकि, दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर और अन्य महानगरों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने से पर्यटकों का रुख नैनीताल की स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वायु की ओर होने की संभावना है।

स्थानीय होटल व्यवसायियों के अनुसार, दिवाली के बाद होटलों में करीब 25 प्रतिशत तक एडवांस बुकिंग हो चुकी है, जो पर्यटन में सुधार की पुष्टि करती है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से नैनीताल के प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे मालरोड, स्नो व्यू, केव गार्डन, बॉटनिकल गार्डन और नैनी झील के आसपास चहल-पहल बढ़ेगी।

पर्यटन व्यवसायी उम्मीद जताते हैं कि दिवाली के बाद का दौरा, ऑफ सीजन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई करेगा। त्योहारों के बाद आने वाले सैलानी प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ पर्वतीय मौसम का आनंद लेने आते हैं, जिससे क्षेत्र के व्यवसाय को नई ऊर्जा मिलती है।

हालांकि, भीड़ बढ़ने से यातायात व्यवस्था पर भी दबाव बढ़ सकता है, इसलिए प्रशासन ने वाहनों के लिए कई वैकल्पिक मार्ग व्यवस्था की है।

इस प्रकार, दिवाली के बाद नैनीताल में पर्यटकों की आमद में वृद्धि पर्यटन उद्योग की संजीवनी साबित हो सकती है।

मां लक्ष्मी की सवारी उल्लू पर दीपावली में मंडराता है खतरा, उत्तराखंड में बढ़ाई गई सुरक्षा

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दीपावली के नजदीक आते ही उत्तराखंड में उल्लुओं की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय बन जाती है। अंधविश्वास के चलते कुछ लोग उल्लुओं की बलि देते हैं या उन्हें पकड़कर पूजा-अर्चना करते हैं, क्योंकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। इसी अंधविश्वास के कारण दीपावली के दौरान उल्लुओं के शिकार और तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन की आशंका बढ़ जाती है।

वन विभाग ने इस खतरे को देखते हुए कार्बेट टाइगर रिजर्व, राजाजी टाइगर रिजर्व, और नंदा देवी बायोस्फीयर समेत संरक्षित क्षेत्रों में निगरानी कड़ी कर दी है। वन कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और रात की गश्त बढ़ा दी गई है ताकि उल्लुओं और अन्य संरक्षित वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

वन विभाग के अधिकारी अंधविश्वास के चक्कर में नहीं पड़ने और उल्लुओं का शिकार या तस्करी जैसी गतिविधि की सूचना वन विभाग को देने की जनता से अपील कर रहे हैं। इसके अलावा, जंगलों और चिड़ियाघरों के आस-पास पटाखों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है क्योंकि तेज आवाज और रोशनी से पक्षी भयभीत होकर अपने घोंसलों से उड़ जाते हैं, जिससे उनकी जान को जोखिम होता है।

खासकर दीपावली के दौरान ही उल्लू की तस्करी के सबसे अधिक मामले देखे जाते हैं, इस कारण वन्यजीव संरक्षण के लिए यह समय विशेष महत्व रखता है। वन विभाग की यह पहल उल्लू समेत अन्य प्रजातियों की सुरक्षा के लिए अहम है।

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