उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला: समान नागरिक संहिता के तहत लिव-इन रजिस्ट्रेशन में कपल्स को मिल सकती है छूट

Uttarakhand News 26Oct2025/sbkinews.in
उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत लिव-इन संबंधों के पंजीकरण में छूट देने की तैयारी कर रही है ताकि नागरिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन न हो। गृह विभाग ने उच्च न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत करते हुए बताया है कि विवाह पंजीकरण नियमों में आवश्यकतानुसार बदलाव किए जा सकते हैं। इस बदलाव का लक्ष्य नियमों को अधिक सुलभ और नागरिक-पक्षधर बनाना है।
अभी तक लिव-इन संबंध में आने वाले जोड़ों को तलाकशुदा होने या पहले से लिव-इन में रहने की सूचनाएं देनी पड़ती थीं। नए नियमों में इस अनिवार्यता में छूट दी जा सकती है, जिससे जोड़ों को अपने निजी जीवन में कम बाधा महसूस होगी। इसके अतिरिक्त, लिव-इन संबंध समाप्ति के बाद गर्भधारण या बच्चे के जन्म की सूचना देने की अनिवार्यता समाप्त हो सकती है। जांच-पड़ताल की प्रक्रिया भी सरल होगी और बालिग व्यक्तियों के अभिभावकों को सूचना देने के नियमों में भी ढील दी जा सकती है।
आधार कार्ड की अनिवार्यता पर भी छूट देने की संभावना है, जिससे प्रक्रिया अधिक सहज हो जाएगी। सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि नियम नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के निजता अधिकारों का सम्मान करते हुए लागू किए जाएं।
विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है और इसे लिव-इन संबंधों में रहने वाले नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के सफल कार्यान्वयन में मददगार साबित होगा।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का सच: कागजों में सड़कें दुरुस्त लेकिन धरातल पर गड्ढों की भरमार, मसूरी, रुड़की, ऋषिकेश और हरिद्वार के शहरी मार्ग खस्ताहाल

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उत्तराखंड सरकार ने दीपावली तक सड़कों को गड्ढामुक्त करने के कड़े निर्देश दिए हैं, लेकिन लोनिवि के दावों और वास्तविक स्थिति में भारी अंतर नजर आ रहा है। लोनिवि की ओर से 95 प्रतिशत सड़कों के दुरुस्त होने का दावा किया गया है, जबकि धरातल पर स्थिति बिल्कुल अलग दिख रही है। देहरादून, मसूरी, रुड़की, ऋषिकेश और हरिद्वार सहित कई शहरी मार्ग अभी भी गड्ढों से भरे हुए हैं, जो आम जनता के लिए परेशानी और दुर्घटना का कारण बन रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि कच्ची गुणवत्ता के निर्माण और कमजोर सामग्री का इस्तेमाल सड़क निर्माण का बड़ा कारण है। इसके अलावा, निर्माण कंपनियों की जवाबदेही पर विवाद भी खड़ा हो रहा है क्योंकि कई स्थानों पर नकली रिकॉर्ड बनाकर सड़क ठीक होने का दावा किया गया है।
स्थानीय जनता और यात्री सड़कों की खराब हालत से परेशान हैं, उन्होंने प्रशासन से शीघ्र सुधार की मांग की है। वहीं, सरकार का कहना है कि कार्रवाई जारी है और जल्द ही सभी प्रमुख मार्गों को ठीक किया जाएगा।
हालांकि धरातल पर गड्ढों की भरमार से साफ है कि कागजी दावे और हकीकत में बहुत बड़ा फासला है, जो जनता को असुविधा में डाले हुए है।
देहरादून के धर्मपुर में बिल्ली के बच्चों को लेकर अनोखा विवाद, भतीजी ने चाचा-चाची और चचेरे भाइयों के खिलाफ दर्ज कराया मुकदमा

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देहरादून के धर्मपुर क्षेत्र में एक असामान्य मामला सामने आया है जहां एक युवती ने अपने ही चाचा, चाची और चचेरे भाइयों के खिलाफ बिल्ली के बच्चों के गायब होने को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है। युवती का आरोप है कि उसके चाचा ने विवाद के बाद बिल्ली के पूंछों को कहीं छोड़ दिया, जबकि वह इसके खिलाफ विरोध करने पर मारपीट की धमकी भी मिली।
भतीजी ने पुलिस को बताया कि बिल्ली के बच्चे अचानक घर से गायब हो गए, जिससे वह काफी परेशान है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बिल्ली के लिए जो संवेदनशीलता और देखभाल की जरूरत थी, वह उनके चाचा-चाची और चचेरे भाइयों ने नहीं दिखाई। इस कारण वह घर में रह रही बिल्ली और उसके बच्चों के लिए न्याय चाहती है।
पुलिस ने युवती की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के मामलों में विवाद और समझदारी से निपटना चाहिए, लेकिन यदि कोई व्यक्ति पार्टी दूसरे पक्ष को धमकी देता है या उत्पीड़न करता है, तो उचित कानूनी कार्रवाई होगी।
यह मामला देहरादून के सामाजिक-परिवारिक टकरावों की जटिलताओं को दर्शाता है, जहाँ कभी-कभी मामूली मुद्दे भी कानूनी विवादों में बदल जाते हैं। स्थानीय प्रशासन इस मामले की तह तक जाकर समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है।
उत्तराखंड सरकार जल्द पेश करेगी अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नीति, सेतु आयोग कर रहा प्रारूप तैयार

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उत्तराखंड सरकार अपनी विकास गति को और तेज करने के लिए जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नीति को लागू करेगी। इस नीति की रूपरेखा तैयार करने का जिम्मा सेतु आयोग को दिया गया है, जो इस समय राज्य और दूसरे राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर रहा है।
सेतु आयोग का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा, आपदा प्रबंधन और प्रशासनिक सुधारों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार लाना है। आगामी महीने की अंत तक इस नीति का प्रारूप सरकार को सौंपा जाएगा।
उत्तराखंड की इस नीति से डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को साकार किया जाएगा और राज्य के युवाओं को नई तकनीकों से जोड़कर रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे। तकनीकी प्रगति को लेकर इस नीति में आधुनिक समाधानों को अपनाने पर जोर दिया गया है।
सरकार का यह कदम राज्य को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगा और उसे 21वीं सदी की डिजिटल क्रांति में आगे ले जाएगा। नीति के कार्यान्वयन से सरकारी सेवाओं का स्तर सुधरेगा और नागरिकों को बेहतर सुविधा मिलेगी।
सेतु आयोग की यह पहल उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
विकासनगर में वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, खैर की तस्करी का पर्दाफाश

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देहरादून के विकासनगर में वन विभाग की टीम ने खैर की तस्करी करते हुए एक अंतरराज्यीय गिरोह का सफलतापूर्वक पर्दाफाश किया है। टीम ने तिमली रेंज के कुल्हाल क्षेत्र में चेकिंग के दौरान एक कार से पांच कुंतल खैर की लकड़ी बरामद की। साथ ही दो वाहनों—एक कार और एक बाइक—को जब्त कर लिया गया। तस्कर मौके से भागने में सफल रहे, जिनकी तलाश वर्तमान में जारी है।
वन विभाग ने इससे पूर्व भी अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई कर चौहड़पुर रेंज में तीन ट्रैक्टर ट्रालियां सीज की हैं, जो अवैध खनन के लिए इस्तेमाल हो रही थीं। ये कदम क्षेत्र में वन्य संपदा और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उठाए गए सख्त उपाय हैं।
तस्करी के खिलाफ इस अभियान से वन विभाग के दृढ़ संकल्प का पता चलता है, जो प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। अधिकारियों ने कहा कि ऐसे गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और कानून व्यवस्था सुनिश्चित हो।
उत्तराखंड में पिछले तीन वर्षों में 23 करोड़ से अधिक पर्यटकों की बढ़ोतरी, सीएम धामी बोले - देवभूमि को मिली नई ऊंचाइयां

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में बताया कि राज्य में पिछले तीन सालों के दौरान 23.46 करोड़ से अधिक पर्यटक आए हैं। यह संख्या पिछली सरकारों की तुलना में दोगुनी से भी अधिक मानी जा रही है। खासतौर से 2022-23 से 2024-25 के बीच इस भारी उछाल ने उत्तराखंड को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया है।
सीएम धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा, धार्मिक, सांस्कृतिक और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिया है। साथ ही, होमस्टे योजना पर भी विशेष फोकस किया गया है जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। यह सब मिलकर उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र को सशक्त करने में कारगर साबित हुआ है।
धामी ने कहा कि उत्तराखंड की वादियों ने न सिर्फ देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पर्यटक आकर्षित करना शुरू कर दिया है। सरकार ने पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने और पर्यटन को इसी गति से बढ़ाने के लिए कार्ययोजना बनाई है।
इस पर्यटन वृद्धि का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे लोगों की आय बढ़ी है और रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। सरकार इस विकास को जारी रखने के लिए सतत प्रयासरत है।


