100 करोड़ की संपत्ति का खुलासा: निलंबित सीओ ऋषिकांत शुक्ल पर विजिलेंस जांच, अखिलेश यादव ने साधा निशाना

UP News today 05Nov2025/sbkinews.in
कानपुर: कानपुर से मैनपुरी तक तैनाती के दौरान निलंबित पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) ऋषिकांत शुक्ल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है। शासन ने उनके खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए हैं। एसआईटी जांच में खुलासा हुआ है कि ऋषिकांत शुक्ल और उनके परिवार के नाम तकरीबन 100 करोड़ रुपये की संपत्ति पाई गई है। जानकारी के अनुसार, वे कानपुर में करीब 11 वर्ष तक तैनात रहे थे।
आरोप है कि ऋषिकांत ने जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे गिरोह के साथ मिलकर फर्जी मुकदमे दर्ज कराने और जमीनें हड़पवाने में सहयोग किया था। इस गिरोह के खिलाफ पिछले दिनों पुलिस आयुक्त अखिल कुमार के निर्देशन में कार्रवाई हुई थी, जिसके बाद एसआईटी गठित की गई थी। जांच के दौरान सीओ ऋषिकांत शुक्ल का नाम भी सामने आया। शासन सचिव जगदीश द्वारा प्रमुख सचिव सतर्कता को भेजे गए पत्र में उल्लेख है कि मैनपुरी के क्षेत्राधिकारी भीगांव पद पर तैनात शुक्ल ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है।
वहीं, सीओ ऋषिकांत ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया है। इस बीच, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि 100 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति यदि एक अधिकारी के पास मिली है, तो उसके राजनीतिक आकाओं के पास कितनी संपत्ति होगी। उन्होंने तंज कसा कि भाजपा राज में भ्रष्टाचार का भंडार खुलकर सामने आ रहा है।
विजिलेंस विभाग अब ऋषिकांत की सम्पत्ति के स्रोतों की जांच कर रहा है और उनसे जुड़े सहयोगियों पर भी निगरानी रखी जा रही है। आने वाले दिनों में कई और खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
70 रुपये में घर बैठे बनवाएं जीवित प्रमाणपत्र, डाकिया देगा पेंशनरों को राहत

UP News today 05Nov2025
लखनऊ: बुजुर्ग पेंशनरों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें जीवित प्रमाणपत्र (Life Certificate) के लिए कोषागारों या सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) ने पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के साथ मिलकर ऐसी व्यवस्था की है, जिससे पेंशनर अपने घर बैठे ही केवल 70 रुपये में डाकिया से जीवित प्रमाणपत्र बनवा सकते हैं।
गोंडा जिले के बरहपुर निवासी 81 वर्षीय राम शंकर मिश्र, जो जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य रह चुके हैं, ने इस सुविधा का लाभ उठाया। उन्होंने डाकिए से संपर्क किया, जिसने घर जाकर आधार संख्या, मोबाइल नंबर और पेंशन विवरण लेकर ऑनलाइन आवेदन पूरा कराया। कुछ ही दिनों में मिश्र का डिजिटल जीवित प्रमाणपत्र जारी हो गया। उनके जैसे अनेकों पेंशनभोगी रोजाना इस सेवा का लाभ ले रहे हैं।
लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल सुनील कुमार राय ने बताया कि पेंशनर अब डाक विभाग के पोस्ट इन्फो ऐप या वेबसाइट के माध्यम से भी यह सेवा प्राप्त कर सकते हैं। पोस्टमैन या ग्रामीण डाक सेवक आवेदक के घर पहुंचकर प्रक्रिया पूरी करते हैं। यह सेवा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से उपलब्ध है।
शहर और ग्रामीण क्षेत्रों दोनों में डाक विभाग ने विशेष प्रबंध किए हैं। चौक पोस्ट ऑफिस के पोस्टमास्टर मनोज अरोड़ा ने बताया कि लखनऊ के 42 डिलीवरी ऑफिसों में भी निःशुल्क जीवित प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में डाकिया स्मार्टफोन के माध्यम से प्रक्रिया पूरी कर प्रमाणपत्र बनाता है, जिसके लिए 70 रुपये शुल्क लिया जाता है।
यह कदम पेंशनभोगियों को बड़ी राहत देगा, जिससे वे लाइन लगाने की परेशानी से बच सकेंगे और अपनी पेंशन निर्बाध रूप से प्राप्त करते रहेंगे।
शादी का झूठा वादा कर संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में: इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

UP News today 05Nov2025
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा है कि सहमति के लिए शादी का झूठा वादा कर बनाए गए यौन संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में आएंगे। न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की एकलपीठ ने गोरखपुर निवासी अभियुक्त रवि पाल की चार्जशीट रद्द करने संबंधी याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी दी। कोर्ट ने कहा कि यदि शुरुआत से ही विवाह का वादा झूठा था और उसका उद्देश्य केवल पीड़िता से सहमति प्राप्त करना था, तो यह दुष्कर्म माना जाएगा।
मामले के अनुसार, सहजनवां, गोरखपुर निवासी पीड़िता ने 17 जनवरी 2024 को रवि पाल, उसके भाई अंकित पाल, पिता महेंद्र पाल और मां मुन्नी देवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि रवि पाल ने शादी का झूठा वादा कर 21 नवंबर 2023 को अपने घर, 23 नवंबर को एक होटल और बाद में दिसंबर माह में दिल्ली ले जाकर जबरदस्ती संबंध बनाए।
हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में अभियुक्त की मंशा और परिस्थितियों की जांच महत्वपूर्ण है। यदि यह सिद्ध होता है कि आरोपी ने केवल शारीरिक संबंध बनाने के उद्देश्य से विवाह का झूठा आश्वासन दिया, तो उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अंतर्गत दोषी माना जाएगा।
यह फैसला भविष्य में ऐसे कई मामलों के लिए मिसाल बनेगा, जहां शादी के वादे का दुरुपयोग कर महिलाओं की सहमति से संबंध बनाए जाते हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच एजेंसियों को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता के साथ कार्य करना होगा ताकि पीड़िताओं को न्याय मिल सके और अपराधियों को उचित दंड दिया जा सके।
चिप्स, चूना के नाम पर बांग्लादेश ले जा रहे थे कफ सीरप की 1150 पेटी संग आठ गिरफ्तार

UP News today 05Nov2025
गाजियाबाद पुलिस ने मछली गोदाम में छापा मारकर दो कंपनियों के कोडीन युक्त कफ सीरप की 1,57,350 शीशियों यानी लगभग 1150 पेटियों की भारी खेप बरामद की है। इनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 3.40 करोड़ रुपये है। मुख्य आरोपित सौरव त्यागी और सात अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, सौरव ने फर्जी पतों पर सात दवा लाइसेंस बनवाकर दिल्ली की एक फार्मा कंपनी से माल खरीदकर इसे बंगाल और फिर बांग्लादेश की तस्करी की योजना बनाई थी। ट्रकों में कभी चिप्स, कभी चूना और चावल के बोरे रखकर कफ सीरप छिपाकर भेजा जाता था।
पूछताछ में यह भी पता चला कि गिरोह ने पिछले तीन महीनों में बांग्लादेश से सटे कई राज्यों में छह बार इस तस्करी को अंजाम दिया है। गिरोह का नेटवर्क यूपी से लेकर पूर्वोत्तर और उससे आगे भी फैला हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों में शादाब, शिवाकांत उर्फ शिव, संतोष भड़ाना, अंबुज कुमार, धर्मेंद्र कुमार, दीपू यादव और सुशील यादव शामिल हैं, जबकि अभी भी कई आरोपी फरार हैं।
पुलिस ने ट्रकों के अलावा एक क्रेटा कार, 20 लाख रुपये नकद, लैपटॉप, मोबाइल फोन और फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए हैं। यह कफ सीरप न केवल भारत में प्रतिबंधित है, बल्कि इसका उपयोग बांग्लादेश और अन्य देशों में नशे के रूप में किया जाता है।
गाजियाबाद पुलिस के क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के मुताबिक, यह अब तक की सबसे बड़ी कफ सीरप तस्करी का नेटवर्क पकड़ा गया है, जिसका मास्टरमाइंड सौरव त्यागी है। पुलिस इस मामले में और आरोपियों की तलाश कर रही है और तस्करी की पूरी साजिश को बेनकाब करने के लिए काम कर रही है।


