Bijnor news 4sep2025

“बरसात में मनरेगा मिट्टी कार्य दिखाने का विवाद, बिजनौर में सीडीओ ने जांच बैठाई”

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बिजनौर जिले में बरसात के दौरान मनरेगा के तहत किए गए मिट्टी कार्यों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में तेज बारिश वाले दिन भी चार ब्लॉकों में मनरेगा पोर्टल पर मिट्टी काम दिखाया गया था, जबकि अगले दिन दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। सीडीओ पूर्ण बोरा ने इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए सम्बन्धित चारों बीडीओ से कार्यों का रिकॉर्ड, फोटो और अन्य दस्तावेज तलब किए हैं।jagran

बताया गया कि सोमवार को जिले में मूसलधार बारिश के बावजूद पोर्टल पर करीब 391 मजदूरों को काम पर दिखाया गया, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। आम तौर पर बारिश में मिट्टी या पक्के कार्य संभव नहीं होते। ग्रामीण मजदूरों ने भी इस कथित कार्य पर सवाल उठाए हैं और प्रशासन द्वारा सही जांच एवं सत्यापन की मांग की जा रही है।jagran

मनरेगा उपायुक्त आरबी यादव ने स्पष्ट किया कि सत्यापन के बाद ही मजदूरी का भुगतान होगा। साथ ही गलत तरीके से दर्शाए गए कार्यों को निरस्त करने और दोषियों पर कार्रवाई की बात भी कही गई है। इस प्रकरण ने योजनाओं की पारदर्शिता और निगरानी तंत्र पर सवाल उठाए हैं, साथ ही स्थानीय प्रशासन की सक्रियता को भी मजबूती दी है।

“गंगा बैराज पुल पर 25 दिन बाद बसों का संचालन शुरू, यात्रियों को बड़ी राहत”

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गंगा बैराज पुल पर 25 दिनों के बाद रोडवेज और निजी बसों का संचालन शुरू हो गया है, जिससे यात्रियों को तमाम यात्राओं में बड़ी राहत मिली है। मेरठ-पौड़ी राष्ट्रीय महामार्ग पर स्थित इस पुल पर गेट नंबर 21 और 28 के स्लैब के एक्सपेंशन जॉइंट में गैप की समस्या आई थी, जो पानी के दबाव के कारण बढ़ गया था। सात अगस्त से दोपहिया वाहनों को छोड़कर अन्य सभी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध था। एनएचएआई के सहयोग से मरम्मत कर चार नए बेयरिंग लगाए गए और पेडस्टल की मरम्मत की गई। बुधवार को अधिकारियों ने जांच के बाद बसों के संचालन की अनुमति दे दी।

पुल के दोनों ओर बसों को रोकने के कारण यात्रियों को पैदल या ई-रिक्शा से पुल पार कर बसों में चढ़ना पड़ता था, जिससे परेशानियां बढ़ गई थीं। अब बसों के संचालन से यात्रियों को सीधा और सुरक्षित सफर संभव होगा। भारी वाहनों के लिए भी एक सप्ताह के अंदर पुल खोलने की संभावना है, जिसके बाद ट्रक और अन्य भारी वाहन भी मार्ग से गुजर सकेंगे। एनएचएआई के सहायक अभियंता आशीष शर्मा ने बताया कि बसों के संचालन के बाद पुल की निरंतर जांच जारी रहेगी।

इस निर्णय से बिजनौर समेत आसपास के क्षेत्रों के आम लोगों को यात्रा में काफी सुविधा हुई है और आर्थिक व सामाजिक गतिविधियां भी सुचारु रूप से चलने लगेंगी।jagran+2

“बिजनौर में लगातार बरसात से आफत, किसानों की फसलें बर्बाद, आर्थिक नुकसान की चिंता”

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बारिश की आफत से किसान चिंतित हैं। बिजनौर जिले में लगातार तीन दिनों तक हो रही बारिश से लोगों को थोड़ी राहत मिली, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई। मंगलवार को बारिश हुई और बुधवार सुबह मौसम थोड़ा साफ हुआ। नौ बजे के आस-पास तेज धूप भी निकली, जिससे लगने लगा था कि बारिश खत्म हो जाएगी, लेकिन दोपहर में फिर से घने बादलों ने आसमान को घेर लिया और बारिश शुरू हो गई। हालांकि तेज हवाओं के चलते थोड़ी राहत मिली।

गांव पावटी में भारी बारिश के कारण रियासत अहमद का कच्चा मकान भरभराकर गिर गया। मकान में किसी के न होने से जानमाल का बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन जहा मलबे में खाद्य सामग्री और घरेलू सामान दब गया। प्रशासन से इस परिवार ने पक्का मकान बनवाने की अपील की है।

मौसमीविद् सतीश कुमार के अनुसार, अगले एक-दो दिनों में बारिश की संभावना कम है और मौसम साफ हो जाएगा। हालांकि आगे गर्मी और उमस की संभावना कम रहेगी। इस लगातार बारिश से किसानों को परेशानी हो रही है, लेकिन जमीनी स्थिति के सुधार और मौसम के साफ होने के बाद राहत मिल सकती है।

स्कूल बस से वृद्धा की मौत: किरतपुर में डीपीएस बस की चपेट में आने से 60 वर्षीय महिला तार-तार; चालक हिरासत में

UP News 26August2025

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बिजनौर। बुधवार दोपहर रेलवे स्टेशन चौराहे पर बिजनौर की ओर आ रही DPS स्कूल बस के पिछला पहिये के नीचे आने से ग्राम पाड़ला निवासी 60 वर्षीय सुरेशना पत्नी सत्यवीर सिंह की मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वृद्ध महिला के ऊपर बस का पिछला पहिया उतर गया। घायल महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किरतपुर में भर्ती कराया गया था, जहां से जिला मेडिकल अस्पताल के लिए रेफर किया गया, लेकिन यहां उपचार के दौरान उनकी जान चली गई।

मृतका के पति और एक पुत्र हरिद्वार में मजदूरी कर रहे हैं, जबकि दूसरा पुत्र गांव में रहता है। वह कुछ दिनों से अपनी बेटी के साथ गिदड़पुरा गांव में थीं। पुलिस ने बस चालक कामेंद्र को हिरासत में लेकर जांच शुरू कर दी है। थानाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने बताया कि तहरीर मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला क्षेत्र में स्कूल बस संचालन की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़ा करता है। स्थानीय लोग स्कूल बसों की सुरक्षा और चालक की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।

गुलदारों के हमलों में वृद्धि, दस वर्षों में 42 जानें गईं

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बिजनौर जिले के नदियों के किनारे बसे गांवों में गुलदारों के हमलों ने लोगों की जान और सुरक्षा दोनों को खतरा बना दिया है। पिछले दस वर्षों में गुलदारों के हमलों में कुल 42 लोगों की मौत हो चुकी है। खासतौर पर जुलाई से सितंबर के तीन महीनों में 16 लोगों की मौत हुई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

मंडावली थाना क्षेत्र के गांव रामदासवाली में हाल ही में आठ वर्षीय बालक कनिष्क को गुलदार ने हमला कर मार डाला। बच्चा दुकान से सामान लेकर घर लौट रहा था जब गन्ने के खेत से निकला गुलदार उस पर हमला कर गया। ग्रामीणों ने शोर मचाया, जिससे गुलदार भाग गया, लेकिन बच्चा गंभीर रूप से घायल हुआ और अस्पताल में मौत हो गई। इस घटना ने पूरे इलाके में खौफ फैला दिया है।

जंगल के किनारे बसे गांवों में गन्ने के खेत और सड़क किनारे की झाड़ियां गुलदारों को गांवों के पास आने का आश्रय देती हैं। वन विभाग ने हाल ही में पिंजरे लगाकर गुलदार पकड़ने का प्रयास शुरू किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि गांवों के पास सब्जी की फसल लगाना, झाड़ियों को हटाना, और घरों के बाहर लाइट जलाना गुलदारों को दूर रखने में मदद कर सकता है। बरसात के मौसम में खेतों में सतर्कता बरतना जरूरी है।

ग्रामीणों ने इस बढ़ते हुए खतरे से बचाव के लिए हाथ में लाठी लेकर सतर्क रहने और बच्चों को अकेले खेतों में न जाने देने की सलाह भी दी है। वन विभाग इस समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयासरत है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देंगे होमस्टे

Bijnor News 1Sep2025

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बिजनौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए होमस्टे योजना को बढ़ावा दिया जा रहा है। डीएम जसजीत कौर ने संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर होमस्टे योजना के नवाचार और नियमों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों को व्यावसायिक नियमों के पालन के निर्देश दिए ताकि पर्यटकों को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित आवासीय सेवा प्रदान की जा सके।

होमस्टे नीति के अंतर्गत, ग्राम्य और शहरी परिवेश में संचालित इकाई को पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा, जिसमें मालिक परिवार सहित निवास करते हों। आवासीय भवन के अधिकतम दो-तिहाई कमरे ही किराए पर दिए जा सकते हैं। इसके अलावा, योजना के तहत आवेदन ऑनलाइन पोर्टल tourismportal.in पर जमा करने होंगे।

यह योजना बीएंडबी एवं होमस्टे नीति-2025 के अनुसार है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। होमस्टे सुविधाओं में सुधार से पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिलेगा, जो प्रदेश के पर्यटन उद्योग को एक नई दिशा देगा।

डीएम जसजीत कौर ने बताया कि नीति के तहत होमस्टे संचालन के लिए जरूरी प्रमाणपत्र का होना अनिवार्य होगा और पंजीकरण के बिना व्यवसाय नहीं चल सकेगा। यह कदम स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ पर्यावरण और सांस्कृतिक संरक्षण को भी बढ़ावा देगा। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे और योजना की व्यापक सफलता के लिए प्रतिबद्धता जताई।

नजीबाबाद से हल्द्वानी के लिए रोडवेज बस सेवा शुरू, किराया 303 रुपये

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नजीबाबाद से नैनीताल के हल्द्वानी तक सीधे बस सेवा शुरू हो गई है, जो यात्रियों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के नजीबाबाद डिपो की यह बस सेवा प्रतिदिन सुबह छह बजे नजीबाबाद से प्रस्थान करती है और लगभग 11 बजे हल्द्वानी पहुँचती है। वापसी में यह बस हल्द्वानी से हरिद्वार के लिए प्रस्थान करेगी, जिसमें नजीबाबाद में भी इसका स्टापेज होगा।

यह बस धामपुर-काशीपुर-रुद्रपुर मार्ग से संचालित होगी। हल्द्वानी से नजीबाबाद के लिए किराया 303 रुपये तथा हरिद्वार के लिए 401 रुपये निर्धारित किया गया है। इससे पहले यात्रियों को नैनीताल या हल्द्वानी जाने के लिए देहरादून या हरिद्वार से बस पकड़नी पड़ती थी, जिससे काफी असुविधा होती थी। अब यह सीधी सेवा मिलने से यात्रा और सुविधाजनक हो गई है।

नजीबाबाद को उत्तर प्रदेश की मेरठ, दिल्ली तथा उत्तराखंड के देहरादून और नैनीताल से जोड़ने वाले इस मार्ग की समाप्ति पर यह नई बस सेवा स्थानीय यात्रियों और पर्यटकों के लिए बेहद लाभकारी साबित होगी। नजीबाबाद डिपो के एआरएम रामप्यारे प्रसाद ने बताया कि यह नई सेवा यात्रियों की बढ़ती मांग को देखते हुए शुरू की गई है और भविष्य में सेवा को और भी बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा।

यह बस सेवा खासतौर पर पर्वतीय इलाकों में रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है और इससे क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियां भी प्रोत्साहित होंगी।

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बिजनौर के नायब तहसीलदार राजकुमार ने सरकारी आवास में की आत्महत्या, परिवार में कोहराम

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बिजनौर सदर तहसील में तैनात नायब तहसीलदार राजकुमार चौधरी ने बुधवार को अपने सरकारी आवास में लाइसेंसशुदा पिस्टल से खुद को गोली मार ली, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यह दर्दनाक घटना जिले में सनसनी फैल गई और परिवार सहित अधिकारियों और कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गई।

राजकुमार की तैनाती तीन साल पहले नजीबाबाद तहसील में हुई थी। वर्ष 2014 में उन्होंने सीधी भर्ती के माध्यम से राजस्व निरीक्षक का पद संभाला और बागपत के सदर तथा खेकड़ा तहसील में रजिस्ट्रार कानूनगो के रूप में कार्य किया। 2022 में उनकी प्रोन्नति नायब तहसीलदार के पद पर हुई और जुलाई 2022 में उनका तबादला बिजनौर में किया गया। इसके बाद समय-समय पर उनके तबादले नजीबाबाद, तहसील सदर और नगीना तहसील में भी हुए। मई 2025 में उन्हें तहसील सदर में नायब तहसीलदार सर्वे का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया था।

घटना के दिन राजकुमार सुबह 8 बजे प्रयागराज कोर्ट से लौटे थे और सरकारी आवास पर पहुंचे। थोड़ी देर बाद उन्होंने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। करीब 10:30 बजे कमरे से गोली चलने की आवाज आई, जिसे खोलने के बाद उन्हें खून से लथपथ हालत में पाया गया। गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।

परिवार में पिता, माता, पत्नी तथा दो बेटियां हैं। राजकुमार अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र थे। परिवार की मर्मांतक दशा देखते ही बनती है। पुलिस ने पिस्टल को जब्त कर मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। आत्महत्या के कारणों का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि तनाव इसकी वजह हो सकता है।

पारिवारिक विवाद और विभागीय दबाव के बीच नायब तहसीलदार राजकुमार की आत्महत्या, जांच तेज

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बिजनौर के नायब तहसीलदार राजकुमार चौधरी की आत्महत्या ने पूरे जिले को झकझोर दिया है। बुधवार सुबह अपने सरकारी आवास में लाइसेंसशुदा पिस्टल से खुद को गोली मारने वाले राजकुमार की मौत कई तरह के सवालों को जन्म दे रही है। परिजन, अधिकारी और ग्रामीण सभी इस घटना से स्तब्ध हैं।

राजकुमार की तैनाती तीन वर्ष पहले नजीबाबाद तहसील में हुई थी। 2014 में उन्होंने सीधी भर्ती से राजस्व निरीक्षक के पद पर काम शुरू किया था। इसके बाद बागपत और खेकड़ा तहसील में रजिस्ट्रार कानूनगो के रूप में तैनात रहे। 2022 में नायब तहसीलदार पद पर प्रोन्नत होकर बिजनौर में तबादला हुआ। मार्च 2025 में वह तहसील सदर में तैनात थे और उन्हें सर्वे कार्य भी सौंपा गया था।

घटना वाले दिन राजकुमार इलाहाबाद हाईकोर्ट से लौटे थे। सुबह अपने आवास के कमरे में बंद होकर करीब 10:30 बजे गोली चला ली। दरवाजा अंदर से बंद होने के कारण परिवार और अधिकारियों को घटना के बाद 20-25 मिनट तक उनको बाहर निकालने में मशक्कत करनी पड़ी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली सिर के आर-पार होने की पुष्टि हुई।

पुलिस जांच में पारिवारिक विवाद, विभागीय दबाव या अन्य कोई कारण सामने आने वाली जांच का केंद्र है। पुलिस ने राजकुमार के मोबाइल फोन कब्जे में लेकर कॉल डिटेल की छानबीन शुरू कर दी है। परिवार एवं माहौल में कई सवाल गूंज रहे हैं। डीएम जसजीत कौर ने जांच के निर्देश दिए हैं और घटनास्थल से साक्ष्य एकत्रित किए गए हैं। मृतक के परिवार में पिता, माता, पत्नी और दो बेटियां हैं, जो इस सदमें में हैं।

यह घटना राज्य प्रशासन में करियर कर रहे अधिकारी की अचानक हुई मौत की गम्भीर घटना है, जो विभागीय तनाव और निजी जीवन की समस्याओं को उजागर करती है। आगामी जांच से ही आत्महत्या के असली कारण स्पष्ट होंगे।

“गोद लिया बेटा वापस लेने से टूटा दंपती, रो-रोकर सुनाई अपनी पीड़ा”

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बिजनौर। संतान सुख से वंचित दंपती के जीवन में चार साल पहले खुशियां आई थीं, जब उन्होंने अपने भांजे से बेटा गोद लिया। शपथ पत्र पर गोदनामा भी तैयार हुआ और बच्चे का नाम अबुज़र रखकर आधार कार्ड में पिता के रूप में अब्दुल्ला का नाम दर्ज कर दिया गया। मगर चार साल बाद अचानक हालात बदल गए।

जानकारी के अनुसार, जिले के रामपुरदास निवासी अब्दुल्ला और नूरजहां को 2021 में भांजे से बच्चा मिला था। लेकिन पिछले माह 16 अगस्त को बहन और भांजे ने ममता के चलते बच्चा वापस ले लिया। इस दौरान जबरन बच्चे को छीनकर ले जाने का आरोप लगाते हुए दंपती ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बच्चे को चंडीगढ़ से बरामद कर लिया और मामला लंबित होने के कारण उसे बाल कल्याण समिति को सौंप दिया।

बुधवार को कोर्ट में सुनवाई के बाद बच्चे को उसके असली अभिभावकों को सौंप दिया गया। फैसले से टूट चुके अब्दुल्ला और उनकी पत्नी डीएम कार्यालय पहुंचे और वहां रो-रोकर अपनी व्यथा सुनाई। उनका कहना था कि वे अपने बेटे अबुज़र के बिना नहीं रह सकते।

डीएम जसजीत कौर ने कानूनी प्रावधानों के तहत स्थिति स्पष्ट करते हुए दंपती को समझाने का प्रयास किया। हालांकि दंपती कार्यालय के बाहर फूट-फूट कर रोता रहा, जिसके बाद पुलिस उन्हें कोतवाली ले गई और समझाकर घर भेज दिया।

चार साल की परवरिश के बाद बेटे से जुदाई ने इस निसंतान दंपती का दिल तोड़ दिया, जो अब प्रशासन से अपने बच्चे की वापसी की गुहार लगा रहा है।

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