टीईटी की अनिवार्यता से परेशान शिक्षक ने फंदा लगाकर दी जान, महोबा में शिक्षा जगत में शोक

Uttar pradesh News 9Sep2025/sbkinews.in
महोबा जिले के कबरई ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय प्रेमनगर में तैनात प्रधानाध्यापक मनोज कुमार साहू ने सोमवार सुबह अपने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। उनकी मौत का कारण साफ नहीं है, लेकिन साथी शिक्षकों और परिवार के अनुसार वे शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता को लेकर मानसिक रूप से काफी परेशान चल रहे थे।
मनोज साहू ने इज़डेंटे में नौकरी हासिल कर ली, जिनका 1992-1993 तक निधन हो गया। वे इस मुद्दे के बारे में चिंतित थे जब सभी शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट पास करने की आवश्यकता थी। शिक्षकों के संघ ने यह भी कहा कि मनोज सैफ का उपयोग अक्सर चाची का आदान -प्रदान करने और उनकी यात्राओं का ध्यान रखने के लिए किया जाता है। सोमवार की सुबह, वह घर में ऊपर गया और उसे देखा। कुछ समय बाद, जब मैं अपनी पत्नी से मिला तो वे लटक रहे थे। अस्पताल ले जाने से, डॉक्टर ने इसे मृत घोषित कर दिया।
बीएसए राहुल मिश्रा ने कहा कि टीईटी को लेकर शासनादेश अभी नहीं आया है, आत्महत्या के पीछे कोई घरेलू कारण भी हो सकता है। हालांकि परिजनों और शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने इसे टीईटी के दबाव से जोड़ा है।
मनोज साहू की मौत से शिक्षा जगत में शोक की लहर फैल गई है। परिजन व बेटे सूर्यांश और प्रज्ञांश इस घटना से गहरे सदमे में हैं। शिक्षक संगठनों ने सभी शिक्षकों से संयम बरतने की अपील करते हुए, सरकार से मनोवैज्ञानिक सहयोग और स्पष्ट दिशा-निर्देश की मांग की है।
शाहजहांपुर में हाईवे पर सांड़ से टकराई बाइक, दो भाइयों समेत सांड़ की भी मौत
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शाहजहांपुर। दिल्ली-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रविवार रात नरसी नगला गांव के दो चचेरे भाइयों वेदपाल (25) और सुनील कुमार (30) की बाइक बीच सड़क पर खड़े सांड़ से टकरा गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसा इतना भीषण था कि सांड़ की भी जान चली गई। दोनों युवक उमरगांव में बाढ़ देखकर लौट रहे थे। उनके साथ अन्य ग्रामीण भी बाइक से जा रहे थे, लेकिन वे आगे निकल गए थे।
पुलिस के मुताबिक, दुर्घटना रात करीब 12 बजे तिलहर क्षेत्र के नगला हाजी गांव के पास हुई। अचानक सांड़ सड़क पर आ गया और बाइक पर ब्रेक लगाने का मौका भी नहीं मिला। पीछे से आए साथियों ने तत्काल पुलिस और एंबुलेंस को सूचना दी। दोनों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
हादसे की पुष्टि पुलिस ने घटनास्थल पर सांड़ का शव मिलने के बाद की। परिवार में कोहराम मच गया। वेदपाल की डेढ़ साल की बेटी सृष्टि और सुनील की तीन संताने हैं जिनके सिर से पिता का साया उठ गया।
पिछले 15 दिनों में हाईवे पर बेसहारा पशुओं के कारण 10 मौतें हो चुकी हैं। यह हादसे लगातार प्रशासन की अनदेखी और आश्रयस्थल अभियान की पोल खोल रहे हैं। सोमवार को भी हाईवे पर पशुओं के झुंड घूमते दिखे और हादसे का खतरा बना रहा।
आगरा में यमुना ने 47 साल बाद चरम सीमा लांघी, 3 की मौत; सैकड़ों इलाकों में पानी, राहत कार्य तेज

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आगरा। यमुना नदी ने 47 वर्ष बाद फिर अपना रौद्र रूप दिखाते हुए सारी सीमाएं पार कर दी हैं। रविवार रात यमुना का जलस्तर ताजमहल के पीछे 500.3 फीट तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान से करीब 1.3 फीट ऊपर है। बाढ़ के कारण 57 गांवों और 32 कॉलोनियों में पानी घुस गया। ताजमहल, कैलाश मंदिर, दशहरा घाट, बल्केश्वर और कचहरी घाट जैसे इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है।amarujala+2
मथुरा, अमरोहा, औरैया, फतेहपुर, उन्नाव समेत कई जिलों में भी यमुना-गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को छू रहा है। मथुरा के विश्राम घाट और वृंदावन की दर्जनों कॉलोनियां बाढ़ से बेहाल हैं। यहां लोगों को नाव और ट्रैक्टर की मदद से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है। बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है और राहत शिविरों में लोगों को ठहराया जा रहा है।
आगरा, औरैया व अमरोहा सहित कई जगहों पर डूबने से तीन लोगों की मौत हो गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों के साथ 70 अधिकारियों और 400 कर्मचारियों को राहत एवं बचाव कार्य में लगाया गया है।
प्रशासन ने सभी प्रभावित लोगों से सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की अपील की है। कंट्रोल रूम 24 घंटे अलर्ट है और किसी भी आपात स्थिति में तेज कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।
यह भयावह बाढ़ 1978 के बाद पहली बार आई है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं और ऐतिहासिक नदी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
बाढ़ संकट पर सपा प्रमुख का हमला, बोले- ‘मुख्यमंत्री का हवाई सर्वेक्षण केवल बाढ़ पर्यटन’

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लगातार जारी बाढ़ के संकट के बीच सरकार की ओर से किए जा रहे राहत कार्यों को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश ने आरोप लगाया कि सरकार केवल कागजों पर राहत कार्यों की खानापूर्ति कर रही है, जबकि जमीनी स्तर पर जनता को कोई राहत नहीं मिल रही।
एसपी प्रमुख ने कहा कि प्रधान मंत्री की हवाई तस्वीरें केवल “बाढ़ पर्यटन” थीं। यह स्थिति विशेष रूप से मथुर, आगरा, अलीगारी, शत्जनपुर, पिलिबकिट, कानपुर डी हैट, ओरैया, इटाबा, खानोद, फलाबाद, सीतापुर, खल्दी और वाराणसी के बारे में सच है। लाखों लोग और हजारों जानवर खतरे में हैं, लेकिन राहत, भोजन, पानी, दवा या उपचार के लिए कोई विशिष्ट नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार संकटग्रस्त जनता को भगवान भरोसे छोड़ने और घोषणाओं से वाहवाही लूटने में ही लगी है। अखिलेश ने बाढ़ प्रभावित गांवों में हुई तबाही और जनता की तकलीफ को उजागर करते हुए सरकार से फौरन राहत कार्यों में तेजी और पारदर्शिता की मांग की है।
सपा प्रमुख ने कहा, “जनता को कागजी भरोसे नहीं बल्कि ज़मीनी राहत और मदद की जरूरत है।”
मायावती ने मेडिकल कॉलेजों में एससी-एसटी के 70% आरक्षण के लिए सरकार से अदालत में सक्रिय पैरवी की मांग की

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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी-एसटी) हेतु 70 प्रतिशत आरक्षण की बहाली के लिए सरकार से अदालत में सक्रिय पैरवी करने की मांग की है। सोमवार को मायावती ने न्यायालय के हालिया आदेश, जिसमें इन कॉलेजों में सामान्य मेडिकल कॉलेजों की तर्ज पर आरक्षण व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया गया है, पर कड़ी आपत्ति जताई।
मायावती ने कहा कि ये मेडिकल कॉलेज समाज कल्याण विभाग के विशेष कम्पोनेंट प्लान से स्थापित किए गए थे, जिनमें एससी-एसटी के लिए 70 प्रतिशत सीटें आरक्षित थीं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब एससी वर्ग को 21 प्रतिशत और एसटी को 2 प्रतिशत सीटें ही मिलेंगी, जो वंचित और कमजोर वर्ग के लिए गंभीर नुकसान होगा।
बसपा प्रमुख ने सरकार से कहा कि हाई कोर्ट में तत्काल नियमों और वास्तविक तथ्यों के साथ पक्ष रखते हुए आदेश को निरस्त कराने की कोशिश करें ताकि दलित एवं पिछड़े समाज का अधिकार सुरक्षित रह सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी हमेशा कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करती रहेगी।
मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर सरकार से अध्यादेश बनाकर भी एससी-एसटी आरक्षण बहाल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि दलित-पिछड़े समाज के सामाजिक और शैक्षणिक हक का संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता पर करें।
बच्चे को बचाने में ट्रैक्टर से टकराई बाइक, दो की मौत

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बागपत के खट्टा प्रहलादपुर-पांची मार्ग पर सोमवार सुबह दर्दनाक हादसा हो गया, जिसमें दो किसान बाइक सवारों की मौत हो गई। घटना उस वक्त हुई जब बाइक सवार ने अचानक सामने आए बच्चे को बचाने के प्रयास में अनियंत्रित होकर सामने से आ रहे ट्रैक्टर से टकरा गई। मृतकों की पहचान अशोक कुमार (50) पुत्र रामबीर और किसान अमरपाल (40) पुत्र रामसहाय के रूप में हुई है।
बताया गया कि दोनों खाद की बोरी लेकर खेतों की ओर जा रहे थे। बाइक और ट्रैक्टर की टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों नाले के किनारे गिर गए और गंभीर रूप से घायल हो गए। ट्रैक्टर चालक मौके से फरार हो गया। घायल अवस्था में दोनों को रास्ते के राहगीरों ने निजी अस्पताल पहुंचाया, जहां से स्थिति नाजुक होने पर मेरठ के केएमसी अस्पताल में रेफर किया गया। वहां दोनों को मृत घोषित कर दिया गया।
अशोक के दो बेटे हैं, अमाल्पल का एक बेटा और एक बेटी है, जिसका परिवार घटना से बहुत दुखी है। पुलिस ने दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है और एक ट्रैक्टर संपीड़न चालक की तलाश जारी है।
हालांकि यह हादसा बच्चे को बचाने के प्रयास में हुआ, लेकिन इसकी वजह से दोनों परिवारों के लिए अपूरणीय नुकसान हुआ है।
उत्तर प्रदेश में सभी निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में मान्यता व प्रवेश प्रक्रिया की होगी जांच

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में संचालित पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। इसके तहत प्रत्येक जिले में विशेष जांच टीम का गठन किया जाएगा, जो संबंधित संस्थानों की मान्यता, पाठ्यक्रमों और प्रवेश प्रक्रिया की सही स्थिति की जांच करेगी।
अध्ययन समूह में जिला मजिस्ट्रेट की कुर्सी के तहत वरिष्ठ प्रशासक, पुलिस सेवा कर्मचारी और शिक्षा विभाग शामिल हैं। जांच के दौरान, गवाही उन सभी शैक्षिक सुविधाओं के संपर्क में होगी जो यह स्पष्ट करती हैं कि यह पूरी तरह से यूजीसी, एआईसीटीई और बीसीआई जैसे प्रासंगिक नियामकों द्वारा मान्यता प्राप्त है।
सरकार को जांच के 15 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। यदि किसी पाठ्यक्रम को एक ऐसी सुविधा पर मान्यता नहीं दी जाती है जिसे छात्रों ने अवैध रूप से स्वीकार किया है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, इन सुविधाओं को इच्छुक छात्रों की कुल लागत वापस करना होगा।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं होगा। इस आदेश के बाद राज्य में शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी और छात्रों के अधिकार सुरक्षित होंगे।
सरकार एक आधुनिक पोर्टल भी तैयार कर रही है, जिसके माध्यम से सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की जानकारी ऑनलाइन निगरानी के तहत रखी जाएगी।
इस कदम को शिक्षा जगत में महत्वपूर्ण बताया जा रहा है, जो छात्रों के हित में एक बड़ी पहल है।

