उत्तराखंड के ‘बिल लाओ, ईनाम पाओ’ मेगा लकी ड्रॉ का शुभारंभ, नैनीताल और टिहरी के विजेताओं को इलेक्ट्रिक कार मिली
Uttarakhand News 01Nov2025/sbkinews.in
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘बिल लाओ, ईनाम पाओ’ मेगा लकी ड्रॉ का शुभारंभ किया, जिसमें नैनीताल की सोनिया और टिहरी के जसपाल इलेक्ट्रिक कार के विजेता बने। इस पहल का उद्देश्य राज्य के राजस्व में वृद्धि करना और उपभोक्ताओं में बिल मांगने के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री ने लोगों से खरीदारी के दौरान बिल लेने और राज्य के आर्थिक विकास में योगदान देने की अपील की।
यह योजना उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करती है कि वे लेन-देन के दौरान बिल जरूर लें जिससे टैक्स चोरी पर अंकुश लगे और सरकार की आय बढ़े। इस लकी ड्रॉ में विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार दिए जाते हैं, जिससे लोगों में उत्साह बना रहता है और वे खरीदारी में पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।
मेगा लकी ड्रॉ की इस सफलता से राज्य के वित्तीय ढांचे में मजबूती आई है और यह योजना सामाजिक समरसता भी बढ़ाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के माध्यम से न सिर्फ उपभोक्ताओं को फायदा हो रहा है, बल्कि यह आने वाले समय में राज्य के आर्थिक विकास की नींव मजबूत करेगी।
उत्तराखंड के बागेश्वर में मिली रहस्यमयी गुफा, वहां से निकल रही सफेद धाराएं, पर्यटक और शोधकर्ताओं का ध्यान केंद्रित
Uttarakhand News 01Nov2025/sbkinews.in
उत्तराखंड के बागेश्वर में एक रहस्यमयी गुफा मिली है, जिसके अंदर से सफेद धाराएं निकल रही हैं। इस अनोखे प्राकृतिक दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह गुफा आध्यात्मिक महत्व रखती है और यहां कुछ अलौकिक शक्तियों का वास हो सकता है।
हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस घटना की जांच और अध्ययन की जरूरत है ताकि सफेद धाराओं का कारण जाना जा सके।
गुफा की जांच से यह पता लगाया जाना आवश्यक है कि ये धाराएं किसी प्राकृतिक पानी के स्रोत से जुड़ी हुई हैं या फिर इनमें कोई अन्य जैविक या खनिज तत्व शामिल हैं। प्रशासन और स्थानीय शोधकर्ता जल्द ही इस गुफा की वैज्ञानिक जांच करने की योजना बना रहे हैं।
इस गुफा के मिलने से बागेश्वर में पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलने की संभावना है, क्योंकि ऐसे प्राकृतिक और रहस्यमयी स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। स्थानीय प्रशासन ने भी इस क्षेत्र की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को लेकर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाने वाला इगास पर्व, जिसमें बिखरती है पहाड़ी संस्कृति की छटा
Uttarakhand News 01Nov2025/sbkinews.in
उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद मनाए जाने वाला इगास पर्व पहाड़ी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में धूमधाम से मनाया जाता है और इसे क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक माना जाता है। इगास का अर्थ है ‘घर की सफाई’ या ‘घर को सजाना’, और इस दिन लोग अपने घरों को पारंपरिक तरीके से सजाते हैं।
इस पर्व में लोग खास तरह के पारंपरिक पकवान बनाते हैं, जो स्थानीय व्यंजनों का हिस्सा होते हैं। इसके अलावा, इगास के अवसर पर लोक गीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें पूरे क्षेत्र की सांस्कृतिक छटा बिखरती है। लोग इस दिन परस्पर मिलकर खुशियां बांटते हैं और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हैं।
इगास पर्व के दौरान कई स्थानों पर मेलों का आयोजन भी होता है, जो न केवल सांस्कृतिक बल्कि धार्मिक महत्त्व भी रखते हैं। यह पर्व पहाड़ी समुदाय के लिए एकता का प्रतीक है और आने वाली पीढ़ियों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखता है।
इस प्रकार, इगास उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को संजोने व उसे जीवित रखने का एक सुंदर माध्यम है।
रुड़की में डीसीएम की टक्कर से बाइक सवार दो रिश्तेदारों की दर्दनाक मौत, चालक फरार
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रुड़की के बुग्गावाला क्षेत्र में शुक्रवार को एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें दो बाइक सवार रिश्तेदारों की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब एक डीसीएम (डिजिटल कंट्रोल मोटर) वाहन ने बाइक को टक्कर मार दी।
मृतकों की पहचान रोहित और सचिन के रूप में हुई है, जो बिहारीगढ़ से आन्नेकी जा रहे थे। हादसे के बाद डीसीएम चालक वाहन छोड़कर मौके से फरार हो गया।
पुलिस ने दोनों मृतकों के शवों को अस्पताल पहुंचाया और मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दोनों मृतक मजदूरी करते थे और परिवार के लिए उपार्जन कर रहे थे। स्थानीय प्रशासन ने दुर्घटना की जांच के साथ ही फरार चालक की तलाश में कड़ी मेहनत शुरू कर दी है।
इस घटना ने सड़क सुरक्षा की महत्वता को फिर से उजागर किया है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां ट्रकों और भारी वाहनों की लापरवाही से अक्सर ऐसी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। पुलिस ने जनता से भी अपील की है कि वे संदिग्ध वाहन चालकों की सूचना देने में मदद करें ताकि ऐसी जानलेवा घटनाओं को रोका जा सके।
उत्तराखंड के चमोली में धौली गंगा पर बनी नई झील, निचले इलाकों में भारी बाढ़ की आशंका
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उत्तराखंड के चमोली जिले में धौली गंगा नदी पर एक नई झील बन रही है, जो भूविज्ञानों के लिए खतरे का संकेत है। अगस्त महीने में भारी बारिश और हिमस्खलन के चलते तमंग नाले पर बना पुल बह गया, जिससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हुआ और पानी जमा होकर झील बन गई। झील के बढ़ते आकार को देखते हुए विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो निचले इलाकों में भारी बाढ़ और तबाही आ सकती है।
धौली गंगा के इस हिस्से की भूगर्भीय संरचना बेहद नाजुक है, इसलिए इस क्षेत्र की सतत निगरानी और उचित बचाव प्रबंध आवश्यक हैं। पूर्व में इसी तरह की घटनाओं में भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान हुआ है, जिससे इलाके के निवासियों में चिंता बढ़ गई है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है और संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि झील के स्तर को नियमित रूप से मापा जाए और आवश्यक सुरक्षा उपायों को तुरंत लागू किया जाए। साथ ही, स्थानीय लोगों को भी सतर्क रहने और आपतकालीन स्थिति के लिए सजग रहने की सलाह दी गई है।
यह घटना उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की संवेदनशीलता को भी दर्शाती है।


