उत्तराखंड में नेपाली, भूटानी और तिब्बती नागरिकों को विवाह पंजीकरण में आधार कार्ड की अनिवार्यता से छूट
Uttarakhand News 15Oct2025/sbkinews.in
उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में रह रहे नेपाली, भूटानी और तिब्बती नागरिकों को विवाह पंजीकरण में आधार कार्ड की अनिवार्यता से छूट दे दी है। अब इन नागरिकों के लिए पंजीकरण के दौरान वैकल्पिक दस्तावेज स्वीकार किए जाएंगे, जिससे सीमावर्ती इलाकों के हज़ारों लोगों को राहत मिलेगी।
अब नेपाली और भूटानी नागरिक अपने-अपने देश का नागरिकता प्रमाणपत्र या 182 दिनों से अधिक भारत में प्रवास करने का प्रमाण (भारत में नेपाली मिलन या रॉयल भूटानी मिशन द्वारा जारी) प्रस्तुत कर सकते हैं। वहीं, तिब्बती नागरिक विदेशी पंजीकरण अधिकारी द्वारा जारी वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र के आधार पर अपने विवाह का पंजीकरण करा सकेंगे।
इससे पहले UCC के तहत विवाह पंजीकरण के लिए आधार कार्ड अनिवार्य था, जिससे नेपाल, भूटान व तिब्बत मूल के हजारों नागरिकों को पंजीकरण कराने में दिक्कत हो रही थी। उत्तराखंड-नेपाल सीमा समेत सीमांत ज़िलों में रोटी-बेटी के पारिवारिक रिश्ते आम हैं, वहीं तिब्बती शरणार्थियों की भी अच्छी-खासी संख्या है।
राज्य सरकार ने पोर्टल और नियमों में इस महत्वपूर्ण बदलाव को शामिल कर लिया है। इससे अंतरदेशीय विवाह के पंजीकरण में कानूनी जटिलताएं दूर होंगी और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों और सीमावर्ती रहवासियों के लिए यह राहत भरा कदम है।
राजाजी टाइगर रिजर्व में सक्रिय लकड़ी तस्कर, बरसात में गिरे कीमती पेड़ों को बनाया जा रहा अवैध कमाई का जरिया
Uttarakhand News 15Oct2025/sbkinews.in
राजाजी टाइगर रिजर्व (सेंट्रल, हल्द्वानी, मेरठ रेंज) में बरसात के दौरान गिरे कीमती पेड़ों की तस्करी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जंगल में लकड़ी तस्कर सक्रिय हैं जो गंगा में बहकर आए बड़े पेड़ों को काटकर, डाट बनाकर भीमगौड़ा बैराज तक पहुंचा रहे हैं और वहां से इन पेड़ों को ठिकाने लगाया जा रहा है। यहां पर हर साल मानसून में सैकड़ों भारी-भरकम पेड़ गंगा और उसकी सहायक नदियों के रास्ते बहकर आते हैं, जिन्हें अवैध रूप से तस्कर उड़ा ले जा रहे हैं।
चीला और हरिद्वार रेंज में हाल के कुछ महीनों में दर्जन से ज्यादा कीमती पेड़ों को काटा गया है। क्षेत्र की भौगोलिक जटिलता, तीन जिलों का मिलान और जंगल की बड़ी परिधि के चलते वन विभाग भी तुरंत कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। कई बार लकड़ी तस्करी की शिकायत के बावजूद सीमावर्ती इलाकों और नदी के किनारे की निगरानी में दिक्कत आती है।
पार्क निदेशक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि अवैध कटान व तस्करी रोकने के लिए सख्त रणनीति बनाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, खास मौकों—त्योहार या बरसात के मौसम में जंगल की गश्त और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी को बढ़ाया जाएगा।
यह घटनाक्रम राजाजी टाइगर रिजर्व की जैव विविधता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। स्थानीय लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना वन विभाग को तुरंत दें।
उत्तरकाशी में हर्षिल-धराली के बीच बनी झील दो माह बाद भी बरकरार, भागीरथी नदी का प्रवाह अब भी बाधित
Uttarakhand News 15Oct2025/sbkinews.in
उत्तरकाशी के हर्षिल और धराली क्षेत्रों के बीच 5 अगस्त 2025 को आए भूस्खलन के बाद बनी झील आज भी जस की तस बनी हुई है। इस झील में करीब 500 मीटर लंबाई तक पानी जमा है, जिससे भागीरथी नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो चुका है। इससे आसपास के इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
इस झील के टूटने पर व्यापक तबाही का डर है, क्योंकि इसमें जलस्तर अभी भी कम नहीं हुआ है। इस झील के जलस्तर में कमी न होने के चलते प्रशासन ने कई बार जल निकासी के प्रयास किए, जिनमें सेना की पोकलैंड मशीन भी शामिल थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
यह झील गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के लगभग 100 मीटर हिस्से को निगल चुकी है, जिससे गंगोत्री क्षेत्र के सड़क संपर्क प्रभावित हुए हैं। बरसात का मौसम खत्म होने के बाद भी जलस्तर में कमी नहीं आई है, और स्थानीय प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की इस झील और क्षेत्र का अध्ययन कर रहा है और सम्बन्धित विभागों को समय-समय पर स्थिति की सूचना देता रहा है ताकि जान-माल के नुकसान को रोकने के प्रयास किए जा सकें।
स्थानीय लोगों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि किसी भी समय इस झील के टूटने से निचले इलाकों में भारी बाढ़ आ सकती है। प्रशासनिक स्तर से सतर्कता और निगरानी बढ़ाई गई है ताकि आपदा को नियंत्रित किया जा सके।
देहरादून में स्मार्ट मीटर से बेतहाशा बढ़े बिजली बिल, भाजपा पार्षदों ने अधिशासी अभियंता का घेराव किया
Uttarakhand News 15Oct2025/sbkinews.in
देहरादून में स्मार्ट मीटर लगाने के बाद कई क्षेत्रों में बिजली के बिलों में अप्रत्याशित वृद्धि होने को लेकर भाजपा पार्षदों ने कड़ा विरोध जताया है। वे आरोप लगा रहे हैं कि बिना लोगों की सहमति के स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, जिससे बिजली बिल चार गुना तक बढ़ गए हैं। इस दौरान पार्षदों ने पुराने बिलों की समस्या और मीटरों की सटीकता पर सवाल उठाया है।
भाजपा पार्षदों का कहना है कि पहले बिजली बिल औसतन 1000 से 1200 रुपये के बीच आते थे, लेकिन अब स्मार्ट मीटर के कारण एक माह का बिल 1500 से 2000 रुपये तक आ रहा है। उन्होंने अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार के कार्यालय का घेराव कर समस्या का समाधान करने का आग्रह किया। पार्षदों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी बात नहीं मानी गई तो वे बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
वहीं, बिजली विभाग का कहना है कि स्मार्ट मीटर लागू करने का मकसद बिजली चोरी रोकना और ट्रांसपोर्टेशन लॉस कम करना है, जिससे दीर्घकालीन रूप से उपभोक्ताओं को लाभ होगा। विभाग ने बिलों की जांच के लिए टीम भी गठित की है और पारदर्शिता बनाए रखने का दावा किया है।
इस मुद्दे ने इलाके में व्याप्त बिजली वितरण प्रणाली की चुनौतियों को उजागर किया है और सरकार पर उपभोक्ताओं की समस्याओं को शीघ्र हल करने का दबाव बढ़ा है।
उत्तराखंड में लक्सर सब स्टेशन का लोड बढ़ेगा, पूहाना-रुड़की ट्रांसमिशन लाइन की करंट वहन क्षमता बढ़ाई जाएगी
Uttarakhand News 15Oct2025/sbkinews.in
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने हरिद्वार जिले के 132 केवी लक्सर सब स्टेशन की क्षमता बढ़ाने और 220 केवी पूहाना-रुड़की ट्रांसमिशन लाइन की करंट वहन क्षमता सुधारने की दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है। यह परियोजनाएं राज्य के विद्युत तंत्र की मजबूती और बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही हैं।
आयोग ने कुछ शर्तों के साथ स्वीकृति दी है और राज्य सरकार से इसकी वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। आयोग ने कहा कि यदि परियोजना को प्रभावित करने वाला कोई गलत या अधूरा डाटा पाया जाता है, तो वह स्वीकृति को रद्द भी कर सकता है।
यह क्षमता बढ़ाने की पहल पूहाना तथा रुड़की के बीच विद्युत प्रवाह को बेहतर बनाएगी, जिससे पूरे क्षेत्र में बिजली की सप्लाई की गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे बारिश, गरमी और अन्य मौसमीय दबाव के दौरान बेहतर विद्युत प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
राज्य सरकार द्वारा इन परियोजनाओं के लिए समुचित संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि समय पर कार्य पूरा हो सके और जनता को कुशल एवं स्थिर विद्युत सेवा मिलती रहे।
यह परियोजना उत्तराखंड के ऊर्जा क्षेत्र के आधुनिकीकरण और विस्तार में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो क्षेत्रीय विकास को भी गति प्रदान करेगी।


