सैनिकों के लिए 'सुपरफूड' तैयार कर रहा पंतनगर विश्वविद्यालय, ताकि सीमा पर भी बनी रहे ऊर्जा

Uttarakhand News :22 August 2025
पंतनगर (उधम सिंह नगर), उत्तराखंड: देश की सीमाओं पर डटे हमारे जवानों की सेहत और ऊर्जा को बनाए रखने के लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, यानी पंतनगर विश्वविद्यालय ने एक अनूठी पहल शुरू की है। विश्वविद्यालय का खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग सैनिकों के लिए विशेष पौष्टिक और लंबे समय तक चलने वाले भोजन (शेल्फ-स्टेबल फूड) की रेसिपी तैयार कर रहा है।
यह शोध इस जरूरत को ध्यान में रखकर किया जा रहा है कि सीमाओं पर अक्सर चरम मौसम की स्थितियों और दुर्गम इलाकों के कारण ताजा भोजन पहुंचाना एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में जवानों को मिलने वाले राशन में पोषण और विविधता की कमी हो सकती है। इसी समस्या का समाधान करने के लिए वैज्ञानिक ऐसे उत्पादों पर काम कर रहे हैं जिन्हें बिना रेफ्रिजरेट किए लंबे समय तक स्टोर किया जा सके और आसानी से तैयार किया जा सके।
विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों में उच्च प्रोटीन युक्त बिस्कुट, एनर्जी बार, न्यूट्रिशनल बार, मांस से बने पौष्टिक उत्पाद (जर्की), और दाल-आधारित व्यंजन शामिल हैं। इन्हें विशेष रूप से इस तरह विकसित किया जा रहा है कि वे सैनिकों को पर्याप्त ऊर्जा दें, स्वादिष्ट हों और उनका शरीर कठिन परिस्थितियों में भी स्वस्थ रहे।
इस पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि पोषण सैनिकों की ताकत और मनोबल का आधार है। यह शोध न केवल सीमा पर तैनात जवानों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि आपदा राहत अभियानों और लंबी यात्राओं के दौरान भी इन उत्पादों का इस्तेमाल किया जा सकता है। पंतनगर विश्वविद्यालय का यह प्रयास देश की सुरक्षा में तैनात जवानों के प्रति एक सार्थक योगदान साबित हो रहा है।
उत्तरकाशी में यमुना नदी में भूस्खलन से झील निर्माण, स्यानाचट्टी गाँव जलमग्न

Uttarakhand News :22 August 2025
उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक चिंताजनक घटना घटित हुई है, जहाँ यमुना नदी में हुए भारी भूस्खलन के कारण एक प्राकृतिक झील का निर्माण हो गया है। इस घटना के परिणामस्वरूप नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है, जिससे निकटवर्ती गाँव स्यानाचट्टी का कुछ हिस्सा जलमग्न हो गया है।
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने अलर्ट मोड में काम शुरू कर दिया है। आपदा प्रबंधन टीमों और एनडीआरएफ की टीमों को तत्काल घटनास्थल पर पहुँचाया गया है। खबरों के अनुसार, भूस्खलन नदी के प्रवाह को रोकने वाली एक प्राकृतिक बांध (नेचुरल डैम) बन गया है, जिसके पीछे पानी जमा होकर एक झील में तब्दील हो रहा है।
इस झील के अचानक टूटने (फ्लैश फ्लड) के गंभीर खतरे को देखते हुए, प्रशासन द्वारा नदी के डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर पहुँचने की चेतावनी जारी की गई है। स्यानाचट्टी और आस-पास के गाँवों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य शुरू हो गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और अधिकारियों को त्वरित राहत और बचाव कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
यह घटना उत्तराखंड के संवेदनशील पहाड़ी इलाकों में बार-बार हो रहे भूस्खलन और उनके गंभीर परिणामों की ओर एक बार फिर इशारा करती है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिसे विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास से जोड़कर देख रहे हैं। फिलहाल, अधिकारी लगातार जलस्तर की निगरानी कर रहे हैं ताकि किसी भी संभावित खतरे से निपटा जा सके।
बदरीनाथ और केदारनाथ का प्रसाद अब स्पीड पोस्ट से श्रद्धालुओं के घर पहुंचेगा

Uttarakhand News :22 August 2025
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए एक बेहतरीन पहल की शुरुआत की है। अब चार धाम में से दो प्रमुख तीर्थस्थलों, बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर का प्रसाद, भारत पोस्ट की स्पीड पोस्ट सेवा के जरिए देशभर में श्रद्धालुओं के घर तक पहुंचाया जाएगा।
यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुविधा और तीर्थयात्रा से जुड़े अनुभव को और व्यापक बनाने के लिए लिया गया है। कई बार लोग मंदिर जाकर प्रसाद लेना चाहते हैं लेकिन किन्हीं कारणों से नहीं जा पाते, या फिर वे प्रसाद को अपने परिवार और दोस्तों तक पहुंचाना चाहते हैं। इस सेवा के शुरू होने से अब ऐसा संभव हो सकेगा।
इस सेवा का लाभ उठाने के लिए श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थापित भारत पोस्ट के विशेष काउंटरों पर जाकर प्रसाद का पार्सल भेज सकेंगे। इसकी शुरुआत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की है।
इस पहल के कई फायदे हैं:
सुविधा: श्रद्धालु अब घर बैठे ही पवित्र प्रसाद प्राप्त कर सकेंगे।
विश्वसनीयता: भारत पोस्ट की सेवा पूरे देश में उपलब्ध है, जिससे प्रसाद की डिलीवरी पर भरोसा किया जा सकता है।
भावनात्मक जुड़ाव: जो लोग मंदिर नहीं आ पाते, उन्हें इससे भक्ति और सुकून की अनुभूति होगी।
यह कदम उत्तराखंड सरकार की ‘डेवलपमेंट विद दी डिवाइन’ (ईश्वर के साथ विकास) की नीति को और मजबूती देता है। इससे न केवल श्रद्धालुओं को लाभ होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
नकली दवा सप्लाई प्रकरण में हिमाचल के फैक्ट्री मालिक की देहरादून से गिरफ्तारी

Uttarakhand News :22 August 2025
देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने नकली एवं निम्न स्तरीय दवाओं की सप्लाई करने के एक बड़े मामले में हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के एक फैक्ट्री मालिक को देहरादून से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार व्यक्ति को हिमाचल प्रदेश पुलिस की एक टीम के सहयोग से उसके छिपने के स्थान से पकड़ा गया।
गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित एक फार्मास्यूटिकल कंपनी के मालिक के रूप में हुई है। उस पर आरोप है कि वह नकली और निम्न गुणवत्ता वाली दवाएं बनाकर विभिन्न राज्यों में सप्लाई कर रहा था। उत्तराखंड पुलिस की साइबर क्राइम इकाई ने इस मामले की जानकारी मिलने पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी का पता लगाया।
पुलिस के अनुसार, आरोपी कुछ समय से देहरादून में छिपा हुआ था। हिमाचल प्रदेश पुलिस की एक विशेष टीम भी उसकी तलाश में उत्तराखंड पहुंची थी। दोनों राज्यों की पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में आरोपी को उसके ठिकाने से गिरफ्तार कर लिया गया।
इस मामले में आरोपी के खिलाफ भारतीय दवा कानून और धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे रिमांड पर ले जाने की अनुमति मिल गई है। पुलिस का मानना है कि इस गिरफ्तारी से नकली दवाओं के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकेगा।
उत्तराखंड पुलिस ने इस गिरफ्तारी को राज्यों के बीच पुलिस सहयोग की एक बड़ी सफलता बताया है। उन्होंने कहा कि नकली दवाओं का व्यापार जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है और ऐसे मामलों में किसी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी।
नैनीताल के खनन अधिकारी हाईकोर्ट में 'खनन' की परिभाषा नहीं बता सके

Uttarakhand News :22 August 2025
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट में बुधवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहाँ नैनीताल के जिला खनन अधिकारी (डीएमओ) कोर्ट के सामने ‘खनन’ की स्पष्ट परिभाषा नहीं दे सके। यह मामला अवैध खनन की एक याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया।
मामले की सुनवाई कर रहे माननीय न्यायमूर्ति की पीठ ने जब जिला खनन अधिकारी से खनन की परिभाषा पूछी, तो वे एक स्पष्ट जवाब देने में विफल रहे। इस पर कोर्ट ने गंभीर असंतोष जताया।
हाईकोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि जिस अधिकारी को जिले में खनन गतिविधियों को नियंत्रित और विनियमित करने की जिम्मेदारी दी गई है, वह इस बुनियादी परिभाषा से भी अनजान है। कोर्ट ने इसे गंभीत चूक माना है।
इस घटना के बाद, कोर्ट ने राज्य सरकार और खनन विभाग के उच्चाधिकारियों को इस मामले में हस्तक्षेप करने और अधिकारी को उचित दिशा-निर्देश देने का निर्देश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने अगली सुनवाई तक एक स्पष्ट और संपूर्ण परिभाषा पेश करने का आदेश दिया है।
इस मामले ने प्रशासनिक तंत्र में विशेषज्ञता की कमी को एक बार फिर उजागर किया है। यह घटना सवाल खड़ा करती है कि जब अधिकारी ही नियमों की मूल भावना से अनभिज्ञ हैं, तो अवैध खनन जैसे गंभीर मामलों पर अंकुश कैसे लगेगा। इससे पहले भी राज्य में अवैध खनन को लेकर हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणियां सामने आ चुकी हैं।
जीआईएस तकनीक से अब सूर्य की किरणों से मिलेंगे आपदा के संकेत, देहरादून के वैज्ञानिकों ने विकसित की नई पद्धति

Uttarakhand News :22 August 2025
देहरादून: उत्तराखंड की आपदा प्रबंधन तैयारियों में अब एक अनूठा और अत्याधुनिक हथियार जुड़ गया है। देहरादून के वैज्ञानिकों ने जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसी पद्धति विकसित की है, जो सूर्य की किरणों (सोलर रेडिएशन) के विश्लेषण से भूस्खलन और जंगल की आग जैसी आपदाओं के खतरे का पूर्वानुमान लगा सकेगी।
यह शोध इस सिद्धांत पर काम करता है कि किसी भी पहाड़ी इलाके की ढलान पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की मात्रा और अवधि का सीधा संबंध वहाँ की वनस्पति, मिट्टी की नमी और तापमान से होता है। जीआईएस तकनीक की मदद से वैज्ञानिक अलग-अलग ढलानों पर सोलर रेडिएशन का मानचित्रण (मैपिंग) करते हैं।
इसके आधार पर यह आकलन किया जाता है कि कौन-से क्षेत्रों में सूर्य की तेज किरणों के कारण मिट्टी की नमी तेजी से सूख रही है। ऐसे सूखे और अधिक गर्म क्षेत्र जंगल में आग लगने की आशंका के लिए अतिसंवेदनशील (हॉटस्पॉट) बन जाते हैं। इसी तरह, कुछ क्षेत्रों में नमी की कमी मिट्टी को ढीला करके भूस्खलन का खतरा भी बढ़ा सकती है।
इस नई पद्धति की खास बात यह है कि यह पारंपरिक तरीकों से कहीं ज्यादा सटीक और समय रहते चेतावनी दे सकती है। इससे प्रशासन को आपदा रोकथाम के लिए पहले से ही संसाधन तैनात करने और स्थानीय लोगों को सचेत करने में मदद मिलेगी।
वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) या इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (IIRS) जैसे देहरादून स्थित प्रमुख संस्थानों के वैज्ञानिक इस तरह के शोध में लगे हैं। यह नवाचार उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य के लिए एक game-changer साबित हो सकता है, जहाँ हर साल भूस्खलन और वनाग्नि से भारी नुकसान होता है। इससे आपदा प्रबंधन में एक नए युग की शुरुआत होने की उम्मीद है।
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