Uttarakhand News 25Oct2025

दिल्ली के प्रदूषण का असर उत्तराखंड में भी दिखा: बॉर्डर पर बसों की सख्त जांच, सरकार ने दिए निर्देश — बीएस-VI और सीएनजी वाहनों को ही दी जा रही अनुमति

Uttarakhand News 25Oct2025

Uttarakhand News 25Oct2025/sbkinews.in

नैनीताल। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का असर अब पड़ोसी राज्य उत्तराखंड तक पहुंच गया है। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंचने के बाद उत्तराखंड सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए राज्य की सीमाओं पर दिल्ली से आने वाली बसों की सघन जांच शुरू कर दी है। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को रोकने और नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, दिल्ली से हरिद्वार, देहरादून, रुड़की और हल्द्वानी आने वाली रोडवेज बसों की जांच की जा रही है। परिवहन विभाग केवल सीएनजी और बीएस-VI मानक वाले वाहनों को ही सीमा पार करने की अनुमति दे रहा है। जिन वाहनों से धुआं या उत्सर्जन अधिक पाया जा रहा है, उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया जा रहा है। साथ ही उत्तराखंड परिवहन निगम ने दिल्ली से आने-जाने वाली बसों की संख्या में अस्थायी कमी की है ताकि राज्य में वायु गुणवत्ता बनी रहे।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई दिल्ली-एनसीआर की गंभीर वायु स्थिति को ध्यान में रखते हुए की गई है। प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और परिवहन अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश देते हुए कहा है कि प्रदूषण बढ़ाने वाले किसी भी वाहन को राज्य में प्रवेश की अनुमति न दी जाए।

पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में आनंद विहार क्षेत्र का AQI 412 और नोएडा का 246 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि धीमी हवा और पराली जलाने के कारण आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।

उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में स्वच्छ हवा बनाए रखने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें मुख्य बॉर्डर चेकपॉइंट्स पर वाहनों की जांच के साथ ही स्थानीय प्रदूषण स्रोतों पर भी निगरानी रखेंगी।

रुद्रपुर में टीवीएस शोरूम में लगी भीषण आग: 30 बाइकें और स्पेयर पार्ट्स जलकर राख, करोड़ों का नुकसान; दमकल ने दो घंटे में पाया काबू

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रुद्रपुर। उधमसिंह नगर जिले में गुरुवार देर रात काशीपुर रोड स्थित दशमेश टीवीएस बाइक शोरूम के गोदाम में अचानक भीषण आग लग गई। देखते ही देखते आग ने पूरे गोदाम को अपनी चपेट में ले लिया। गोदाम में रखी 30 नई बाइकें, स्कूटी, स्पेयर पार्ट्स और अन्य सामग्री आग की लपटों में जलकर राख हो गई। इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई, मगर करोड़ों रुपये का नुकसान बताया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, शोरूम मालिक गुरप्रीत सिंह रिंकू देर रात दुकान बंद कर घर चले गए थे। करीब आधी रात को स्थानीय लोगों ने गोदाम से धुआं और आग की लपटें उठती देखीं और तुरंत दमकल विभाग को सूचना दी। फायर स्टेशन की पांच गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।

फायर ऑफिसर महेश चंद्र ने बताया कि आग लगने का कारण प्राथमिक जांच में बिजली का शॉर्ट सर्किट प्रतीत होता है। हालांकि, सटीक कारणों की पुष्टि के लिए जांच जारी है। चूंकि दिवाली के अवसर पर बड़ी संख्या में नई बाइकें और ऑटो पार्ट्स गोदाम में रखे गए थे, इसलिए नुकसान का दायरा बढ़ गया।

गोदाम मालिक ने बताया कि इस हादसे में लगभग एक करोड़ रुपये की संपत्ति जल गई। प्रशासन ने घटना स्थल पर जांच शुरू कर दी है और सुरक्षा मानकों के पालन को लेकर रिपोर्ट तलब की गई है।

फायर विभाग ने आग लगने के बाद आस-पास के गोदामों और दुकानों को भी खाली करा लिया, जिससे आग आगे न फैले। आग बुझाने के दौरान दमकलकर्मियों ने स्थानीय लोगों की मदद से पानी के टैंकरों का इस्तेमाल किया।

उत्तराखंड में एंबुलेंस सेवा की लापरवाही से गई महिला की जान: समय पर नहीं पहुंची गाड़ी, दूसरी रास्ते में हुई खराब — ग्रामीणों में फूटा गुस्सा

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गोपेश्वर (चमोली)। उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति एक बार फिर उजागर हुई है। गोपेश्वर क्षेत्र में सड़क दुर्घटना में घायल महिला को अस्पताल पहुंचाने में एंबुलेंस सेवा की भारी लापरवाही के कारण जान गंवानी पड़ी। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि अगर एंबुलेंस समय पर पहुंच जाती, तो महिला की जान बचाई जा सकती थी। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया कि मौके पर तीन एंबुलेंस भेजी गई थीं, जिनमें से एक रास्ते में खराब हो गई।

जानकारी के अनुसार, गोपेश्वर-पोखरी मार्ग के पास गुरुवार शाम सड़क हादसे में एक महिला गंभीर रूप से घायल हुई। दुर्घटना के बाद स्थानीय लोगों ने 108 सेवा पर कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। काफी देर बाद जब गाड़ी रवाना हुई, तो चालक ने छोटा मार्ग छोड़ लंबा रास्ता नंदप्रयाग-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से चुना, जिससे न केवल यात्रा लंबी हो गई बल्कि बीच रास्ते में एंबुलेंस खराब हो गई। चालक को मजबूरन महिला को दूसरी एंबुलेंस में स्थानांतरित करना पड़ा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी — महिला ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।

ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह हादसा राज्य की आपातकालीन सेवाओं की पोल खोलता है। घटनास्थल से जिला अस्पताल तक का सफर महज ढाई घंटे का है, जबकि एंबुलेंस को वहां पहुंचने में पांच घंटे लग गए। उनका कहना है कि सिस्टम की इस देरी ने एक जीवन लील लिया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिषेक गुप्ता ने बताया कि सूचना मिलते ही तीन एंबुलेंस रवाना की गई थीं। उन्होंने कहा कि तकनीकी खराबी के कारण विलंब हुआ लेकिन विभाग ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सभी एंबुलेंसों की तकनीकी स्थिति की समीक्षा की जा रही है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य के पर्वतीय इलाकों में एंबुलेंस सेवाएं लगातार फेल हो रही हैं। पिछले छह महीनों में चमोली, बागेश्वर और टिहरी में आधा दर्जन बार एंबुलेंस खराब होने या समय पर न पहुंचने की वजह से मरीजों की जान चली गई है।

उत्तराखंड में बिजली होगी सस्ती: यूपीसीएल का मिड-टर्म पावर परचेज करार; उपभोक्ताओं को मिलेगा राहत, सरकार का महंगी बिजली से भी छुटकारा

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देहरादून। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) राज्य में बिजली दरों के बोझ को कम करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। यूपीसीएल पहली बार “मिड-टर्म पावर परचेज एग्रीमेंट” (Mid-Term Power Purchase Agreement) करने जा रहा है, जिससे राज्य को सस्ती दरों पर बिजली मिलेगी और उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में राहत मिलेगी। इस प्रस्ताव को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।

यूपीसीएल के अधिकारियों के मुताबिक, मिड-टर्म अनुबंध के तहत 500 मेगावाट तक बिजली तीन से पांच वर्ष की अवधि के लिए खरीदी जाएगी। इससे यूपीसीएल को राष्ट्रीय बिजली बाजार से नियमित सस्ती दरों पर आपूर्ति मिलेगी, जिससे राज्य को पीक आवर्स में महंगी बिजली खरीदने से मुक्ति मिलेगी। यह कदम न केवल उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा बल्कि राज्य सरकार के बिजली खरीद खर्च में भी भारी कटौती लाएगा।

फिलहाल राज्य में औसतन 6.16 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है, जो अन्य राज्यों — हिमाचल प्रदेश (₹6.33), मध्य प्रदेश (₹6.71) और उत्तर प्रदेश (₹7.24) — की तुलना में कम है। यूपीसीएल का कहना है कि मिड-टर्म करार से यह दर और 30–40 पैसे प्रति यूनिट तक घट सकती है।

राज्य सरकार ने बताया कि इस अनुबंध से बिजली की खरीदी लागत संतुलित होगी और उपभोक्ताओं पर बढ़ते टैरिफ का दबाव घटेगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा गैर-आवंटित कोटे से 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति बढ़ाए जाने से राहत और बढ़ेगी।

ऊर्जा विभाग के सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड आने वाले वर्षों में बैटरी स्टोरेज सिस्टम (Battery Energy Storage System – BESS) भी लागू करने वाला है, ताकि सस्ती बिजली को संग्रहित कर महंगे समय (पीक आवर्स) में उपयोग किया जा सके। इससे राज्य में बिजली आपूर्ति स्थिर रहेगी और उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।

उत्तराखंड शिक्षा विभाग में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: चार वरिष्ठ अधिकारियों को मिली पदोन्नति, अपर निदेशक पद पर नियुक्त; शिव प्रसाद सेमवाल को भी मिला प्रमोशन

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देहरादून। उत्तराखंड शासन ने विद्यालयी शिक्षा विभाग में चार वरिष्ठ अधिकारियों को पदोन्नति देकर अपर शिक्षा निदेशक (Additional Director) के पद पर नियुक्त किया है। इस निर्णय को शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय कार्यों में तेजी और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम बताया है।

शासनादेश के अनुसार, टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी शिव प्रसाद सेमवाल को अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक शिक्षा, कुमाऊं मंडल) बनाया गया है। सेमवाल ने कुछ माह पहले पदोन्नति न मिलने पर त्यागपत्र की पेशकश की थी, जिसे बाद में शासन ने स्वीकार नहीं किया था। इसके अलावा, गजेंद्र सिंह सोनकुलदीप गैरोला, और आनंद भारद्वाज को भी अपर निदेशक पद पर प्रोन्नति दी गई है।

जानकारी के अनुसार, शासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति पर राज्यपाल की स्वीकृति के बाद इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से नए पदों पर कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया है। इन पदों का वेतनमान लेवल-13 ‘क’ (₹131100–216600) निर्धारित किया गया है।

शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने कहा कि इन पदोन्नतियों से शिक्षा विभाग में उच्च प्राथमिकता वाले कार्यों — जैसे स्कूलों में शिक्षक तैनाती, निरीक्षण व्यवस्था, और एनईपी-2020 के क्रियान्वयन — को गति मिलेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि नए अपर निदेशक अपने अनुभव से शिक्षा व्यवस्था को और अधिक संवेदनशील और परिणाममुखी बनाएंगे।

विभागीय सूत्रों के अनुसार, कुछ और वरिष्ठ अधिकारियों की पदोन्नति फाइलें भी विचाराधीन हैं जिन्हें आगामी कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिल सकती है। यह पूरी प्रक्रिया शिक्षा सेवा संवर्ग के पुनर्गठन और लंबित तबादलों के समाधान के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।

उत्तराखंड सरकार का 22 साल पुराना हेलीकॉप्टर रखरखाव की अहम ज़रूरत में, तीन बार रद्द हो चुका खरीद प्रस्ताव; अब फिर बनेगा नया प्लान

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार अपने 22 साल पुराने राजकीय हेलीकॉप्टर के स्थान पर नए विमान की खरीद या किराए पर लेने पर विचार कर रही है। वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी के कार्यकाल में खरीदा गया डबल इंजन हेलीकॉप्टर EC-135 अब तकनीकी रूप से पुराना हो चुका है और लगातार मेंटेनेंस की मांग कर रहा है।

राज्य नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (UCADA) के सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस पर विचार कर रही है कि नया हेलीकॉप्टर खरीदा जाए या किराए पर लिया जाए। इससे पहले 2013, 2016 और 2022 में भी नए हेलीकॉप्टर की खरीद प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन तीनों बार या तो टेंडर प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी या सरकार के बदलाव के कारण योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

यूसीएडीए अधिकारियों ने बताया कि वर्षों से चल रहे इस प्रशासनिक विलंब के कारण अब पुराना हेलीकॉप्टर केवल आवश्यक आपातकालीन कार्यों और वीआईपी मूवमेंट में सीमित रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह हेलीकॉप्टर अब ‘लाइफ एक्सपायर्ड कैटेगरी’ में आ चुका है, इसलिए उड़ान अवधि बढ़ाने के लिए भारी खर्च की आवश्यकता होगी।

सूत्रों के अनुसार, नागरिक उड्डयन विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें नया डबल इंजन हेलीकॉप्टर खरीदने या पांच वर्ष की अवधि के लिए किराये पर लेने का विकल्प रखा गया है। अनुमानित लागत लगभग 90 से 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

यूसीएडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने पुष्टि की कि नया हेलीकॉप्टर राज्य के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों की सरकारी यात्राओं के लिए उपयोगी होगा, बल्कि आपातकालीन राहत कार्यों, जंगल की आग बुझाने और चारधाम यात्रा के दौरान निगरानी मिशनों में भी मदद करेगा।

राज्य सरकार का उद्देश्य आगामी वित्तीय वर्ष 2026–27 तक नया हेलीकॉप्टर विमानन सेवा में शामिल करने का है। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्तर पर जल्द ही अंतिम मुहर लगने की संभावना जताई जा रही है।

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