Uttarakhand News 4Sep2025

गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब, ऋषिकेश में सतर्कता बढ़ी

Uttarakhand News 4Sep2025
Uttarakhand News 4Sep2025

ऋषिकेश में लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय प्रशासन और पुलिस में चिंता फैल गई है। गंगा नदी अब चेतावनी के निशान से ऊपर बह रही है और इसके कारण त्रिवेणी घाट पर स्थित आरती घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है।

पुलिस ने नदी के किनारों पर अपनी निगरानी कड़ी कर दी है और आसपास के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी है, जिससे संभावित बाढ़ की आशंका बनी हुई है। प्रशासन ने क्षेत्र के निवासियों से नदी के पास न जाने और सुरक्षित स्थानों पर रहने का अनुरोध किया है।

जल प्रबंधन विभाग भी लगातार गंगा का मॉनिटरिंग कर रहा है और जलस्तर को नियंत्रित करने के उपाय कर रहा है। हालांकि, मौसम विभाग ने आगामी दिनों में थोड़ी बारिश की संभावना जताई है जिससे पानी बढ़ सकता है।

स्थानीय लोग और श्रद्धालु जो त्रिवेणी घाट जैसे धार्मिक स्थलों पर आते हैं, उन्हें भी विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है। पुलिस और बचाव दल किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

ऋषिकेश में गंगा के जलस्तर में यह वृद्धि बाढ़ के लिए एक चेतावनी संकेत है, जिसे देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर है।

बागेश्वर में बढ़ा आपदा का खतरा, धंसती जमीन से छह परिवार सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट

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Uttarakhand News 4Sep2025

उत्तराखंड के बागेश्वर में लगातार हो रही बारिश के कारण भूस्खलन और भूधंसाव की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। खासतौर पर नीलेश्वर मंदिर के पास सड़क और सुरक्षा दीवारों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे आसपास के गांवों के घरों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

जिला प्रशासन ने तत्कालीन सर्तकता के साथ छह लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है ताकि उन्हें किसी भी अप्रत्याशित घटना से बचाया जा सके। नीलेश्वर की पहाड़ियों के दरकने से स्थानीय लोगों में दहशत व्याप्त है और वह भयभीत हैं।

स्थानीय बागनाथ सभासद ने बताया कि प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता दी जा रही है और प्रशासन सतत निगरानी कर रहा है। साथ ही बचाव टीमों को अलर्ट किया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

भूस्खलन के कारण नीलेश्वर मंदिर के आस-पास की सड़कों पर आवागमन भी बाधित हुआ है, जिसकी मरम्मत के लिए प्राथमिक कार्य शुरू कर दिए गए हैं। प्रशासन आश्वासन दे रहा है कि क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है।

यह स्थिति पर्यटकों और स्थानीय निवासियों दोनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि बागेश्वर के ये इलाके प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ धार्मिक स्थल भी हैं।

प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और खतरे वाले इलाकों से दूर रहें।

मानसून खत्म नहीं हुआ, उत्तराखंड में बदरीनाथ धाम-हेमकुंड की चोटियों पर बर्फबारी

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Uttarakhand News 4Sep2025

उत्तराखंड में बुधवार की शाम श्री बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हुई है, जिससे क्षेत्र में ठंड का तापमान काफी कम हो गया है। चमोली जिले में लगातार हो रही बारिश के बीच बर्फबारी ने पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को सावधानी बरतने पर मजबूर कर दिया है।

बर्फबारी के कारण बदरीनाथ धाम और हेमकुंड की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो पांच सितंबर तक प्रभावी रहेगा। मौसम विभाग ने यहां भारी बारिश और बर्फबारी को देखते हुए पर्यटकों को अनावश्यक यात्रा न करने की सलाह दी है।

उत्तराखंड के ये प्रमुख तीर्थस्थल हैं और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। बर्फबारी और भारी बारिश के कारण यात्रा कठिन हो जाएगी। स्थानीय प्रशासन अलर्ट मोड पर है और यातायात एवं सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक बारिश और बर्फबारी का दौर जारी रहने का पूर्वानुमान जताया है, जिससे तापमान में और गिरावट आने की संभावना है। सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने श्रद्धालुओं को सतर्क रहने और मौसम के अनुसार यात्रा निर्धारित करने का निर्देश दिया है।

इस मौसम परिवर्तन से क्षेत्र में ठंडक बढ़ गई है और पर्यटकों के लिए यह समय सावधानीपूर्वक योजना बनाने का है।

उत्तरकाशी: दो माह की लंबी जद्दोजहद के बाद स्याना चट्टी में मिली राहत, यमुना के प्रवाह को किया चैनलाइज

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उत्तरकाशी के स्याना चट्टी इलाके को करीब दो महीने की कड़ी चुनौतियों और जद्दोजहद के बाद राहत मिली है। सिंचाई विभाग ने यमुना नदी के प्रवाह को चैनलाइज कर दिया है, जिससे डूबे हुए होटल और पुलिस चौकी के सामने जल स्तर में कमी आई और पानी सुरक्षित दिशा में बहने लगा।

स्थानीय निवासियों ने इस प्रयास की सराहना की है, क्योंकि इससे उनके निवास क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा कम हुआ है। हालांकि, पुल की स्थिति अभी भी संदिग्ध बनी हुई है, लेकिन प्रशासन ने खतरे को कम करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य जारी रखा है।

स्याना चट्टी में यमुना नदी के तेज प्रवाह के कारण पिछले कई सप्ताह से क्षेत्र में पानी का दबाव बना हुआ था, जिससे लोगों और संरचनाओं को नुकसान पहुंचने का खतरा था। चैनलाइजेशन के जरिए इस पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना संभव हुआ है।

स्थानीय प्रशासन, सिंचाई विभाग और बचाव दल एक साथ मिलकर सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ कर रहे हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से जल्द निपटा जा सके।

इस राहत के साथ ही प्रभावित इलाकों में आवागमन और जीवन कुछ हद तक सामान्य होने लगा है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और सरकारी निर्देशों का पालन करने की अपील जारी की है।

उत्तरकाशी में चल रहे इस संकट में यह बड़ा कदम माना जा रहा है, जो क्षेत्रवासियों के लिए उम्मीद की किरण साबित हुआ है।

Chardham Yatra Route Update:उत्‍तरकाशी में बारिश जारी, गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे कई जगह बंद

in this picture taken june 25, 2013, vehicles wait on the either side following a landslide due to heavy rains between rudraprayag and srinagar
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उत्तरकाशी क्षेत्र में बुधवार की रात से गुरुवार सुबह तक लगातार हो रही बारिश के कारण गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर बाधित हो गए हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग नगुण और धरासू के पास बंद है, जिसे ब्रॉ (Border Roads Organization) की टीम सुचारू करने में लगी हुई है।

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भी झर्जर, गाड़, जंगलचट्टी, बनास और नारदचट्टी जैसे कई अहम स्थानों पर बंद पड़ा है। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड की टीम इन मार्गों को खोलने और यातायात बहाल करने में निरंतर जुटी हुई है।

बारिश के कारण कई जगहों पर मलबा और पानी जमा हो गया है, जिससे यात्रा पूरी तरह प्रभावित हुई है। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से खस्ता मार्गों पर सावधानी बरतने और यात्रा से पहले हालात की जानकारी लेने की सलाह दी है।

बारिश के मौसम में चाडधानी यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह बाधाएं चिंता का विषय हैं। प्रशासन क्षेत्र में राहत और बचाव कार्यों को भी सक्रिय रखे हुए है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित मदद मिल सके।

मौसम विभाग ने भी आगामी दिनों में उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में बारिश की संभावना जताई है, जिससे यात्रियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

अन्यथा, जैसे ही बारिश कमी हुई, ब्रॉ का दल मार्गों को जल्दी से जल्द खोलने का प्रयास करेगा, जिससे श्रद्धालुओं की यात्रा फिर से सुगम हो सके।

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