Uttarakhand News 5Sep2025

उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए हेली सेवाओं की एसओपी बनेगी, नदियों का अध्ययन होगी

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने आपदा के समय हेलीकॉप्टर सेवाओं के सही उपयोग के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने आपदा प्रबंधन विभाग को देहरादून में रिस्पना नदी के चैनलाइजेशन के लिए प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया है। साथ ही, राज्य की सभी प्रमुख नदियों का अध्ययन कर एक व्यापक कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया गया है।

मुख्य सचिव ने आपदा प्रभावितों को राहत के लिए अनुग्रह राशि का तत्काल वितरण करने के भी निर्देश दिए हैं, जिससे 피해ग्रस्तों को तुरंत मदद मिल सके। यह कदम वर्ष 2025 में राज्य में बढ़ते प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर उठाया गया है।

एसओपी के तहत हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे आपदा के समय बचाव कार्य प्रभावी और सुरक्षित तरीके से किए जा सकें। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाएगी, जो हेली संचालन की सभी पहलुओं का विश्लेषण कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।

उत्तराखंड में हाल के महीनों में कई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें लोगों की जानें गईं। इन घटनाओं के बाद प्रदेश सरकार ने हेली सेवाओं पर कड़ी नजर रखने और संचालन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्णय लिया है।

इस पहल से उत्तराखंड में तीर्थ यात्रियों, आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं की दक्षता में सुधार होगा और भविष्य में दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी।

पिथौरागढ़ में नाचनी-बांसबगड़ मार्ग पर पहाड़ दरकने से यातायात बाधित, 100 से अधिक वाहन फंसे

in this picture taken june 25, 2013, vehicles wait on the either side following a landslide due to heavy rains between rudraprayag and srinagar
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पिथौरागढ़। नाचनी-बांसबगड़ मार्ग पर अचानक पहाड़ दरकने से भारी मात्रा में मलबा सड़क पर आ गिरा, जिससे उस मार्ग पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। इस गंभीर स्थिति के कारण सौ से अधिक वाहन फंस गए हैं। इसके अलावा चीन सीमा से संपर्क आठवें दिन भी कट गया है, जिससे उच्च हिमालयी घाटियों में रहने वाली लगभग 10 हजार की आबादी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, नाचनी-बांसबगड़ मार्ग के किमी नौ के पास धूप निकलने के दौरान पहाड़ दरकने लगा और पत्थर नदी तक पहुंच गए। इससे मार्ग बाधित हो गया है और त्वरित राहत कार्य के लिए बीआरओ के अधिकारी व श्रमिक मौके पर पहुंचे हैं।

इसके अलावा, तवाघाट-लिपुलेख, तवाघाट-सोबला-दारमा, मुनस्यारी-मिलम जैसे हाईवे और मार्ग भी बंद हैं, जिनके बंद रहने से कई गांवों का बाहरी संपर्क टूट गया है। प्रभावित ग्रामों के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और वे नदी किनारे से पैदल आवाजाही कर रहे हैं।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेंद्र महर ने बताया कि टीम मलबा हटाने में लगी है और जल्द यातायात सुचारू करने की कोशिश की जा रही है।

मौसम सुधार के साथ ही कई मार्गों को खोलने का प्रयास जारी है, लेकिन भूस्खलन और पत्थरों के गिरने का सिलसिला अभी भी जारी है। स्थानीय प्रशासन एवं बीआरओ की टीमें लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

उत्तराखंड के चंपावत में मलबा गिरने से टनकपुर-घाट राष्ट्रीय राजमार्ग 7 दिनों से बंद, डीएम ने राहत कार्यों का लिया जायजा

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चंपावत, उत्तराखंड। टनकपुर-घाट राष्ट्रीय राजमार्ग में लगातार मलबा गिरने की वजह से सड़क सात दिनों से बंद है, जिससे यातायात पूरी तरह प्रभावित हो गया है। क्षेत्र के जिलाधिकारी मनीष कुमार खुद देर रात मौके पर पहुंचे और टॉर्च लेकर मलबा हटाने के कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को जल्द से जल्द मार्ग खोलने के निर्देश दिए।

सड़क बंद रहने से इस क्षेत्र की कई अन्य सड़कों का संपर्क भी बाधित है। लगातार बंदरुत्व के कारण स्थानीय लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं स्कूलों के अकादमिक कैलेंडर पर भी असर पड़ा है और परीक्षाएं स्थगित हो गई हैं।

मौसम विभाग ने क्षेत्र में हल्की बारिश और धुंध की संभावना जताई है, जिससे राहत कार्यों में और देरी हो सकती है। तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो निकट भविष्य में राहत कार्यों को प्रभावित कर सकती है।

जिलाधिकारी ने कहा कि राहत एवं पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था कर दी गई है, बीआरओ और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित किया गया है। जल्द ही राष्ट्रीय राजमार्ग का संचालन बहाल किया जाएगा ताकि क्षेत्र के व्यवसाय और जनजीवन प्रभावित न हो।

इस बीच स्थानीय प्रशासन ने जनता से सावधानी बरतने और वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की अपील की है ताकि किसी अप्रिय दुर्घटना से बचा जा सके।

नैनीताल झील में बुजुर्ग ने की आत्महत्या की कोशिश, नाविकों ने समय रहते बचाया

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नैनीताल। झील में नौकायन कर रहे 60 वर्षीय बुजुर्ग अवतार सिंह ने पारिवारिक तनाव के कारण आत्महत्या का प्रयास किया, लेकिन नाविकों की सूझबूझ और तत्परता से उनकी जान बचा ली गई। बरेली के रहने वाले अवतार सिंह ने झील के बीच में नाविक को मंदिर और गुरुद्वारे के लिए पैसे दिए और फिर लाइफ जैकेट उतारकर झील में छलांग लगा दी।

घटना गुरुवार सुबह लगभग दस बजे हुई, जब उन्होंने झील के किनारे से बोटिंग शुरू की थी। नाविकों ने तेजी से सहायता पहुंचाकर उन्हें सुरक्षित निकाला। पुलिस ने बुजुर्ग को परिजनों को सौंप दिया है और काउंसलिंग के बाद उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाएगा।

यह घटना पारिवारिक तनाव और मानसिक दबाव के चलते आत्मघाती कदम उठाने की गंभीर समस्या को उजागर करती है। स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने लोगों से कहा है कि वे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से लें और परेशानियों का समाधान बनाए।

अवतार सिंह के इस आत्महत्या प्रयास की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और लोगों में संवेदनशीलता की लहर दौड़ गई। प्रशासन लगातार ऐसे मामलों को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है।

बाजपुर में लेवड़ा नदी में घायल गुलदार का सफल रेस्क्यू, वन विभाग ने निभाई जिम्मेदारी

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बाजपुर, उधम सिंह नगर। नैनीताल स्टेट हाईवे स्थित लेवड़ा नदी के पुल के नीचे घायल अवस्था में मिला गुलदार वन विभाग की कड़ी मेहनत से बचा लिया गया है। काफी मशक्कत के बाद बन्नाखेड़ा की वन टीम ने गुलदार को सुरक्षित बाहर निकाला और रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया, जहां उसका इलाज किया जाएगा।

घायल गुलदार को देखकर आसपास के लोगों में भारी उत्सुकता और हड़कंप मच गया। सूचना मिलने पर तहसीलदार अक्षय कुमार भट्ट, डिप्टी रेंजर दीवान सिंह रौतेला और वनकर्मियों की टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया।

वन विभाग के डिप्टी रेंजर रौतेला ने बताया कि घायल गुलदार का प्राथमिक उपचार शुरु हो चुका है और स्वास्थ्य सुधारते ही उसे जंगल में लौटाया जाएगा ताकि वह अपनी प्राकृतिक जिंदगी वापस पा सके। रेस्क्यू अभियान में मोनू राजहंस, सौरभ, चरन, हीरू, शक्ति पाण्डेय, मोहित और किशन जैसे वनकर्मी शामिल थे।

यह वाइल्डलाइफ रेस्क्यू अभियान स्थानीय लोगों के लिए एक संदेश है कि वन विभाग जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए सतत प्रयास कर रहा है। बारिश के कारण नदी उफ़ान पर आने और जलस्तर बढ़ने के चलते गुलदार फंसा था, जिसे समय रहते बचाना वन विभाग की सफलता है।

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